________________ हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानां ग्रन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः। 341 प्रलोकादि पृष्ठम् श्लोकादि। मधुरा शतपुष्पायां मुद्गो वलाटो मङ्गल्यो [महेश्वर ] 212 मधूकोऽन्यो मधूलस्तु / मुरा गन्धवती दैत्या धन्व० 5-48 प० 177] | धन्व० 3-67 प० 109] 154 मधूको मधुवृक्षश्च मुसली खलिनी तालधन्व. 5-45 प. 177] ] 145 मन्दारश्चार्कपर्णेऽत्र मुस्तमस्तुधरो मेघो [अमर० का० 2 वर्ग 4-81] 30 धन्व० 1-40 50 15] 2.5 मरिचं मलिनं श्याम मुष्कको मोक्षको घण्टा धन्व० वर्ग 2-88 धन्व० 5-132 प० 196] 91 मल्लिका शीतभीरुश्च मूर्वा मधुरसा देवी [धन्व० 5-134 प० 197] 133 धन्व० 1-13 प० 9] 171 मसूरिका मसूरी स्या मूलकं हरिपर्ण च ] 210 धन्व० 4-33 प० 140] 192 महानिम्बः स्मृतोद्रेकः मूलं च पिप्पलीमूलं धन्व 1-31 प० 13] धन्व० 2-5 प० 84] 166 महाबला वर्षपुष्पी मूलं पुष्करमूलं च [धन्व० 1-282 प० 65] 144 [धन्व०१-६६ प० 19] 196 महाश्रावण्यथाऽन्या तु मृदुदर्भः कुशो बहिः [धन्व 1-260 प० 37] 120 [धन्व० 4-133 प० 161 199 माषपर्णी तु काम्बोजी मेदा ज्ञेया मणिच्छिद्रा [धन्व० 1-136 प० 32] 117 धन्व० 1-127 प० 30] 159 मांसरोहिण्यतिरुहा मेषशृङ्गी मेण्ढवल्ली [धन्व० 4-94 प० 152] 156 [मदनपाल मांसी कृष्णजटा हिस्रा ] 107 धन्व० 3-45 प० 104] 153 मांसी जटा भूतकेशी यवतिक्ता शशिनी च __] 154 __ [धन्व० 1-256 50 59] 151 मिस्रेया तालकर्णी च यवानी दीपको दीप्यो [धन्व० 2-4 प० 69] धन्व० 2-91 प० 88] 141 मुद्गपर्णी क्षुद्रसहा शिम्बी यवे च तीक्ष्णशूको धन्व० 1-138 प० 32] 117 ] 210 मुद्गपर्णी क्षुद्रसहा शूर्प यूथशालिनी [ ] 117 धन्व० 5-149 प० 200] 131 मुद्गपर्णी तु काकमुद्रा यूथिका बालपुष्पी च [अमर० का० 2 वर्ग 4-113] 117 .. धन्व० 5-148 प० 200] 131 152