________________ . हिंगु 290 द्वितीयं परिशिष्टम् / शब्दः लिङ्गम् अर्थः श्लोकः शब्दः लिङ्गम् अर्थः प्रलोकः कणसडा सस्यशीर्षक म० 100 सारी स्त्री० साथरि 341 सस्यशूक " ऊंबी साल पुं० सागु 102 टी. सस्यसंवर पुं० सागु 102 सितशिम्बिक, वाल 392 टी. सहकार सुगंध आंबउ 122 सिता स्त्री श्वेतदूर्वा 380 सहचर वान उविशेष 246 सिताभ्र न. कपूर 34 सहदेवा स्त्री. सहदेवी 258 सिताम्भोज " *वेतकमल 330 महाबला 262 सिद्धदारु पुं०न. सरलउ 108 सहदेवी , सहदेवी २५८पा० सिद्धवृक्ष पुं० सिल्हक 107 सहस्रपत्र न. श्वेतकमल 328 सिद्धार्थ श्वेतसरसव 398 सहस्रवीयर्या स्त्री. शतावरी 297 सिद्धि ऋद्धि-वृद्धि 174 श्वेतदूर्वा सिद्धियुग " 174 पा० सहस्रवेधि न. सिन्दुक निर्गुण्डी 184 सहस्रवेधिन् पुं. अम्लवेतसविशेष 60 सिन्दुवार " सहस्राझिन् पुं० पीलु-वेणु 139 सिन्दुवारक " १८४पा. महा स्त्री० सेवंत्री 244 सिन्दुवारिका स्त्री० 184 सोआ सिल्लक पुं० . सिल्हक 107 पा० सहाचर वानउविशेष 246 सिल्हक 107 संवरणी स्त्री० शतावरी 297 सिंह केसर बकुल संवर्तक पुं० बहेडा 82 सिंहपणिका स्त्री० अरडूसा 160 संस्पर्शा जंतुषार सिंहपुच्छो " पीठवनी 199 संहर्षा 285 पा० सिंहमुख पुं० अरडूसा 160 साहर सांगरी 73 पा. सिंहवृत्ता स्त्री० माषवनी 210 पा. ভারত स्त्री० सायरि 340 सिंहवृत्ता 210 साधुपादप बीजउरउ 54 पा. सिंहिका अरडूसा 160 साधुवृक्ष घरुणा 132 पा० सिंही डोल्हरी 195 सानुज तुबुरु 160 सीत्य न. धान्य 386 न. पद्म-स्थलपद्म 283 सीधुपादप पुं. बीजउरठ 54 पा. सानुमानक 284 सीधुवृक्ष वरुणा 132 पा० सार चन्दन 23 सीरिन् राडागारी ३१७पा. सारणा स्त्री. प्रसारणी 342 डाभ 371 सारणी " 342 पा० सीहुण्डी थोहरी सारफल पारापत 141 सुकन्द डूंगली 339 सारवृक्ष पुं० धमणउ 106 सुकुमारा स्त्री. नीमाली 241 सारस तुम्बुरु 160 सुकेशक राजाम्र १२३पा. साराम्ल पारापत 110 सुकोशक 123 पर स्त्री . 285