________________ 276 द्वितीयं परिशिष्टम् / यवानी / 227 शब्दः लिङ्गम् अर्थः प्रलोकः न (पुं०न०) घास 378 यवसाह्वय पुं० यवानि २५७पा० यवसाया स्त्री० यवा साथरि 341 यवानि 257 यवासक धमास उ यशस्करी जवासी 277 दोडी 350 यशीश्वरा जवासी २७७पा. यष्टीमधु पुं० जेठीमधु 189 याजनक शरकड 376 याज्ञिक पलाश ९२पा० यावक कुल्माष 393 धमासउ 227 ऋद्धि-वृद्धि 174 युगच्छद कांचनार यूथिका जूहा 238 यूप पद्मनस योगज अगर २१पा० योगसार नारिंग योगिन् ६३पा० शाक 104 न० ऋद्धि-वृद्धि 174 योजनवल्लिका स्त्री० मजीठि योनल पुं० जुवारि योषाह्वा स्त्री० प्रियङ्गु 188 योषिद्वक्त्राधिवासन पुं० नारिंगु यास शब्दः .. लिङ्गम् अर्थः श्लोकः रक्तपर्याय न० केसर रक्तपादी स्त्री० खयरी 286 रक्तपुष्प पुं० पलाश वानउ 245 रक्तपुष्पा भाडंगी २७६पा० रक्तपुष्पी " 276 रक्तपूरक आंबली विशेष 57 अम्लवेतस 58 रक्तफल वडु रक्तफला गोल्ह, टिडूरी 368 रक्तबीज अरीठा १३५पा० दाडिमसार 149 रक्तमाल पारापत १४०पा. करंजूयउ १४४टी. रक्तयष्टि स्त्री० मजीठि 302 रक्तवृन्ता शेफालिका 186 रक्तवेधना " कडूई ३२१पा० रक्तशालि पुं० रक्तशालि 387 रक्तसन्ध्यक न. रक्तसन्धि उत्पल 332 रक्तसरोरुह " रक्तकमल 330 रक्तसार रक्तचन्दन 25 खदिर 64 रक्तहन् रोहीडउ १४७टी. रक्ताङ्ग कंपीलउ 155 रक्तिका स्त्री. चिण उठी 292 रक्कोत्पल न० रक्तकमल 330 रक्षाबीज अरीठा 135 रङ्गणी स्त्री० मुदगवनो 211 रङ्गदायक पुं०न. ककुष्ठ 176 रङ्गपुष्प पलाश ९१पा० पीतपापडा २५९पा. रजक रजनामक रजनि हलद्र 213 जाइ 235 रजनी , न. " योग्य 302 पुं० पुं० रक्त रक्तकाण्ड रक्तकाष्ठ रक्तकुसुमा स्त्री रक्तकेसर पुं० रक्तचन्दन न. रक्तचूर्णक पुं० पदमाकु १७५पा. तंडुलेजा 352 चन्दनविशेष 26 सीमळो 67 पुन्नाग 27 रक्तचन्दन 24 कंपीलउ 155 स्त्री० , २३५पा.