________________ // श्रीः॥ मार्कण्डेय पुराण : एक अध्ययन PoweeMBER पुराण पुराण वह विद्या है जिसमें सृष्टि, प्रलय, वंश, मन्वन्तर और वंशों की चरितावली का वर्णन हो सर्गश्च प्रतिसर्गश्च वंशो मन्वन्तराणि च / वंशानुचरितं चैव पुराणं पञ्चलक्षणम् // (वि० पु० ) पुराण के भेद पुराण के प्रमुख भेद अठारह हैं__ ब्रह्म, पद्म, विष्णु, शिव, भागवत, नारद, मार्कण्डेय, अग्नि, भविष्य, ब्रह्मवैवर्त, नृसिंह, वाराह, स्कन्द, वामन, कर्म, मत्स्य, गरुड और ब्रह्माण्ड / ब्राझं पानं वैष्णवं च शैवं भागवतं तथा / तथान्यन्नारदीयं च मार्कण्डेयं च सप्तमम् / / आग्नेयमष्टमं प्रोक्तं भविष्यं नवमं स्मृतम् / दशर्म ब्रह्मवैवर्त नृसिंहैकादशं तथा // वाराहं द्वादशं प्रोक्तं स्कान्दमत्र त्रयोदशम् / चतुर्दशं वामनकं कौम पञ्चदशं तथा // मात्स्यं च गारुडं चैव ब्रह्माण्डं च ततः परम् / (मा० पु० अ० 137 ) पुराण का समय पुराण के स्वरूप, भेद, प्रतिपाद्य विषय तथा उसके ज्ञान के प्रयोजन आदि की जानकारी जैसे हम पुराण से ही करते हैं, उनी प्रकार उसके समय का निश्चय भी उसी के आधार पर करना उचित है और विशेषतः उस स्थिति में जब कि पुराण के समय का निर्देश उनमें स्पष्ट रूप से किया गया है। इस यथार्थ और न्याय्य दृष्टिकोण से जब हम पुराण के समय का विचार करते हैं तो यही निष्कर्ष