________________ विषय अध्याय पृष्ठ चाक्षुष मन्वन्तर तथा चाक्षुष और उसकी माता, आनन्द और गुरु एवं आनन्द और ब्रह्मा के उपदेशपूर्ण संवादों का संकेत - 76 111 वैवस्वत मन्वन्तर के वर्णन के प्रसंग में विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा तथा उसकी छाया से सूर्यदेव द्वारा उत्पन्न सन्तानों का संकेत - 77 .111 सूर्य के स्वरूप, अश्वा के रूप में स्थित संज्ञा से सूर्य-द्वारा अश्विनीकुमारों के जन्म आदि विषय तथा वैवस्वत _____ मन्वन्तर के देवता आदि का संकेत 78-79 111-112 सावर्णि मन्वन्तर के देवता आदि का संकेत 80 112 दुर्गासप्तशती 81-93 112-118 दक्षसावणि, ब्रह्मसावर्णि, धर्मसावर्णि, रुद्रसावर्णि तथा रोच्य ___ मनु के समय के देवता आदि के विषय में संकेत 94 118 रोच्य. मनु की जन्मकथा के प्रसंग में पितृगणों द्वारा रुचि के प्रति गृहस्थाश्रम और कर्मयोग की महत्ता का वर्णन 95 118-119 रुचि द्वारा पितरों की स्तुति तथा पितरों से उसे वरदान 96-97 119 प्रम्लोचा अप्सरा की कन्या मालिनी से रुचि के विवाह और रोच्य मनु के जन्म का संकेत 98 119-120 भौत्य मन्वन्तर का परिचय तथा अग्नितत्त्व का निरूपण 99 120 शान्ति की प्रार्थना पर अनिदेव की कृपा से उसके गुरु भूति को पुत्रलाभ तथा विभिन्न मन्वन्तरों के श्रवण का फल 100 121 सृष्टिविज्ञान का संकेत 101-103 121-122 मरीचि-पुत्र कश्यप और दक्ष की 13 कन्याओं से विविध प्राणियों का जन्म, दैत्य-दानवों द्वारा देवताओं का पराजय, देवमाता अदिति द्वारा सूर्य देव की आराधना 104 122 अदिति के गर्भ से मार्तण्ड सूर्य का प्रादुर्भाव, दैत्य-दानवों का विनाश, देवताओं को पुनः स्वाधिकार की प्राप्ति 105 122-123 सूर्य और संज्ञा का विवाह, उनकी सन्तानें, सूर्य के तेज की छटनी, सूर्यतत्त्व, अश्विनीकुमारों का जन्म 106-108 123-124 राजा राज्यवर्धन का शिक्षाप्रद मनोरम आख्यान 109-110 124-125 वैवस्वतमनु की सन्तानें तथा इला, सुयुम्न और पुरूरवा 111 125-126 वैवस्वतमनु के अन्यतम पुत्र पृषध्र का शिक्षाबहुल अाख्यान 112 126