________________ ( 86 ) को प्राप्त होने वाले फलों का भी विवरण दिया गया है। पूरा अध्याय पठनाई है। तैतीसवाँ अध्याय इस अध्याय में इस बात का विशेष रूप से वर्णन किया गया है कि किस तिथि और किस नक्षत्र में श्राद्ध करने से क्या फल प्राप्त होता है। चौतीसवाँ अध्याय इस अध्याय में दुराचार का परित्याग और सदाचार के पालन पर बड़ा बल दिया गया है / जिन सदाचारों का पालन अत्यावश्यक है उनका विस्तृत वर्णन किया गया है / पूरा अध्याय कण्ठ रखने योग्य है / पैंतीसवाँ अध्याय इस अध्याय में भी सदाचार सम्बन्धी बातों का ही वर्णन करते हुये ग्राह्य / और त्याज्य विषयों तथा अाचरणों का परिचय दिया गया है / यह अध्याय भी पूरा पूरा पढ़ने योग्य है। छत्तीसवाँ अध्याय __ इस अध्याय में यह बताया गया है कि राजा तध्वज और रानी मदालसा ने चौथेपन में राजकुमार अलर्क को राज्यासन पर अभिषिक्त कर स्वयं तपस्या के निमित्त वन को प्रस्थान किया। मदालसा ने जाते समय अलर्क को एक अँगूठी देकर निर्देश किया कि यदि कभी तुम किसी सङ्कट में पड़ना तो इसे खोल कर इसमें अङ्कित अनुशासन को पढ़ना, फिर उसके अनुसार कार्य कर आत्मकल्याण का साधन करना / सैंतीसवाँ अध्याय इस अध्याय का कथानक इस प्रकार है / अलर्क ने राजस्व प्राप्त कर पुत्र के समान प्रजाजनों का पालन किया / अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यों का अनुष्ठान किया / प्रजाजनों में अनुशासन और कर्त्तव्यपरायणता की निष्ठा का जागरण किया / धर्म, अर्थ और काम के अर्जन में व्यापृत हो जीवन के परम लक्ष्य मोक्ष से विमुख हो गया। उसके इस विषयासक्तिमूलक पतन को देखकर उसके बड़े भाई सुबाहु को चिन्ता हुई / उसने अलर्क को विषय से विरक्त कर उसका उद्धार करने की इच्छा से काशिराज को उसके विरुद्ध युद्ध करने को उभाड़ा। काशिराज ने