________________ (81 ) मंडोर के प्रतिहार / इस में 1103 से 1212 तक राव रघुराज सं० 1103/ कोई भी नानुदेव राजा नहीं हुआ है खरसेज्हाराज तरों को इतिहास की क्या परवाह है उन को तो किसी न किसी गप्प गोला चला संबरराज कर पोसवालों की प्रायः सब जातियों भपतिराज को खरतर बनाना है पर क्या करें अखेराज विचारे जमाना ही सत्य का एवं इतिनाहडराव (वि० सं० / हासका आगया कि खरतरों की गप्पे 1212) आकाश में उडती फरती हैं जैसे पाटण के बोत्थरों को स्तोत्र देकर दादाजी ने तथा आपके अनुययिथों ने बोत्थरों को अपने भक्त समझा हैं वैसे ही मता के चोपड़ो को "उपसग्गहरं पास" नामक स्तोत्र देकर अपने पक्ष में वनालियाहों इस बात का उल्लेख खरतर० क्षमाकल्याणजी ने अपनी पट्टवलिये में भी किया हैं बस ! खरतरों ने इस प्रकर, यंत्र-स्तोत्र देकर भद्रिक लोगों को कृतघ्नी बनाये हैं वास्तव में चोपड़ा उपकेश गच्छीय श्रावक हैं। __ १०--छाजेड़ वि० सं० 942 में प्राचार्य सिद्धसूरि ने शिवगढ़ के राठोडराव कजल को उपदेश देकर जैन बनाये कजल के पुत्र धवल और धवल के पुत्र छजू हुआ छजूने शिवगढ़ में भगवान पार्श्वनाथ का विशाल मन्दिर बनाया बाद शत्रुजयादि तीर्थों का संघ निकाला जिस में सोना की कटोरियों में एक एक मोहर रख लेण दी इत्यादि शुभ क्षेत्र में करोड़ों रुपये मर्च किये उस छजू की सन्तान छाजेड़ कहलाई। .