________________ ( 57 ) है कि खरतर लोग ऐसी बिना शिर पांव की गप्पें मारकर सभ्य समाज द्वारा अपनी हंसी कराने में क्या लाभ देखते होंगे। (4) खरतर लोग संचेती जाति को कोई तो वर्धमानसूरि और कोई जिनदत्तसूरि प्रतिबोधित स्वतंत्र गोत्र बतला रहे हैं। पर चोरडिया, बाफना, और रांकों की तरह इसका भी प्राचीन गोत्र कुछ और ही है ? देखिये___"सं० 1465 वर्षे मार्ग. वदि 4 गुरौ उपकेश ज्ञातो सुचिंति गोत्रे साह भिखु भायो जमानादे पु० सा० नान्हा भोजा केन मातृ पितृ श्रेयसे श्री शान्तिनाथ बिंबं कारितं श्री उपकेशगच्छ ककुदा चार्य संताने प्रतिष्ठितं श्री श्री सर्वसूरिभिः" बाबू पू० सं० शि• लेखांक 1641 सं० 1506 वर्षे वैशाख सुद 8 रवौ उपकेशे सुचिन्ति गोत्रे सा० नरपति पुत्र सा० साल्ह पु० कमण भा० केल्हारी पु० सधारण भा० संसारादे युतेन पित्रोः श्रेयसे श्री आदिनाथ बिंबे कारायितं प्र० उपकेश० ककुदाचार्य श्री ककसूरिभिः” ___ बाबू० पू० सं० शि० द्वि पृष्ठ 313 लेखांक 1494 / इन शिलालेखों से इतना निश्चय अवश्य हो सकता है कि संचेती जाति का मूल गोत्र सुचिंति है और इनके प्रतिबोधित आचार्य रत्नप्रभसूरि हैं जो खरतरगच्छ के जन्म के पूर्व करीब 1500 वर्षों में हुए हैं /