________________ ( 33 ) (8) मुराणागच्छ-इस गच्छ में धर्मघोष सूरि आदि कई आचार्य हुए जिन्होंने अनेकों अजेनों को जैन बना कर जैन जातिएँ स्थापित की। सुराणा / संखला भणवट मिटड़िया सोनी / उस्तवाल खटोड़ नाहार * (10) पल्लीवाल गच्छ-इस गच्छ के आचार्य अभयदेवसरि, आदि महा प्रभाविक आचार्य हुये और विक्रम की 1728 तक इस गच्छ के आचार्य विद्यमान थे। इस गच्छ बालों ने: धोखा, बोहरा, डुगरवाल वगैरह जातिएँ बनाई / (11) कन्दरसा गच्छ-इस गाछ के पुण्यवर्धन सूरि श्रादि आचार्य हुये। खाबीड़या, गँगा, बँबाद, दुधेड़िया कटोतिया वगैरह जातियें बनाई। (१२)साँडेराव गच्छ-इस गच्छ में यशोभद्रसूरि ईश्वरसूरि, वगैरह महाप्रभाविक आचार्य हुये / यशोभद्रसूरि नाइलाई में एक मन्दिर उड़ा कर लाये थे। तथा नाडोल के राव दूधाजी को जैन बनाया था। इस गच्छ की जातियें ये हैं: 8+-+-नाहार बंब गैंग के लिये पूर्व लिखा गया है। // - दधेड़िया संडेरागच्छाचार्य प्र. कहा जाता है पर पूर्व ममामा में महात्मा. एक गच्छ वाले अपनी वंशावलियाँ दूसरे को दे दिया करते थे यही कारण है कि एक जाति के लोग कई गच्छों में विभाजित होगये /