________________ ( 32 ) पगारिया x बंब गेहलड़ा गंग . कोठारी गिरिया चण्डालिया स्त्रीवसरा (7) पूर्णमियागच्छ-इस गच्छ में चन्द्रसूरि, धर्मघोषसूरि, मुनिरत्नसूरि, सोमतिलकसूरिआदि कई प्रभाविक प्राचार्य हुए और इस गच्छ के आचार्यों ने भी कई अजैनों को जैन बनाया हैं / इनकी बनाई हुई जातियें ये हैं:साँढ सियाल / साचेला पुनमिया / मोधाणा * | धनेरा (8) नाणावाल गच्छ-इस गच्छ में भी कई प्रभाविक आचार्य हुए हैं जैसे:-शान्तिसरि, सिद्वसूरि, देवप्रभसूरि वगैरह / और इन्होंने भी कई अजैनों को जैन बनाए / जैसेरणधीरा / मालू ढा / (तेलेड़ा) कावड़िया / डागा / (श्रीपत्ति) / कोठारी *-+-+-श्री श्रीमाल, दुघड़ चंडालिया और नक्षत्र जातियों उपकेशगच्छाचार्यों प्रतिबोधित हैं या तो इस जाति के नाम की अन्य गच्छीय श्रावकों मैं कइ शाखाएँ निकली हो या निकट वर्ती रहने से वंशावलियों के लिखने के कारण तथा एक गच्छ वालों की वंशावलियों लिखने के लिए इधर की उधर वंशावलियाँ देदी हों यही कारण है कि एक गोत्र-जाति का नाम कह दूसरे गच्छों में भाता है। ®-नाहर यह सुराणा गच्छ में भी नाम आता है एक शिला लेख में नहारों के चैत्रगच्छीय होना भी लिखा है +-+-बंब गँग कँदरसा गच्छाचार्य प्रतिबोधिक भी कहा जाता है ____ *- खीवसरा का मूल गच्छ कोरण्ट गच्छ है यह खीवसरा या तो किसी मूलगोत्र की शाखा है या किसी अन्य कारण से कहलाया है।