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________________ श्री उत्तराध्ययनसूत्रनी सज्झायो. ४५ करे। जिणे हुवे जीव जगारि ॥ नमुं० ॥ ४ ॥ प्रवचन माता आठ ए। जे पाले अनुदिन सार॥ श्री ब्रह्म कहे ते मुनि नमो। जिम पामोधर्म विचार ॥नमुं॥५॥ ॥ इति प्रवचन माता सज्झाय ॥ २४ ॥ श्रीयाज्ञीय सज्जाय. २५ ___ (आतमराम शील-ए देशीमां) नयरी नाम वणारसी । विप्र वसे जयघोष ॥ बंधव तसु बीजो अ । चतुर सुगुण विजयघोष ॥१॥ गुणवंता गुरुजी वंदीयेरे । जसु दीरे दी परमाणंद ॥(ए-आंकणी)॥गंगातट तिणे पेखियो।ममुक काल्यो साप ॥ मंजारें तो अहि ग्रह्यो । मंगुक न तज्यो पाप ॥ गुण ॥२॥ देखी ए परे चिंतवे । धिग धिग ए संसार ॥ जयघोष संयम दरे । महियल करे विहार ॥ गुण ॥३॥ विजयघोष तिहां कारवे । पशुवध कारण याग ॥ जयघोष ऋषि आवे तिहां । नाश् उपर राग ॥ गुण ॥ ४ ॥ वेद विचार करे जिके । जगन करावे जाण ॥ ज्योतिषनी परे जे
SR No.032735
Book TitleSazzay Sangraha Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherGokaldas Mangadas Shah
Publication Year1922
Total Pages264
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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