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श्री ज्ञातामूत्रनी सज्झायो. चौद सुपनस्युरे जिणवर गुण नर्योः-गुण जर्या जनम्या मागशर शुदि दिन एकादस सुरवर, उडव कोई कर्म कन्या नाम मबी पिड करे; अनुक्रमे यौवन रूप चमीया मोहण एक घर कारए, सोवन प्रतिमा मांहि मंमावी कवल दिन प्रति जारए ॥२॥ एणे अवसरे पूरव मित्र सुरवर, चवी बह नगरें ते थया नरवर कोसल देसेंरे नगर साकेत ए,पमिबुद्धी राजारे एक थयो केतुए-केतु सरखो पहु प्रतापी, देवी तस पदमावती,सुबुद्धि मंत्री नाग यात्रा अन्यदा हुश्नावती; अंग देसें नगर चंपा, चंछ बाया राजी. यो, तिहां अरहन नामे सेठ म्होटो श्रावकने गुणें गाजीयो ॥३॥ देस कुणालारे नयर सावथ्थीए,रुपी राजारे सेव्यो अरथीए;धारणी देवीरे सुबाहु उदारिया, रूप यौवनरे करी लक्षण धारियाः-धारिया लक्षण का. शिदेसे नगर तीहां बाणारसी, संख नामे राय मोटो, किरती जसु चिहुं दिशि वसी; कुंनराए कुंगल काजें सोवनकार निनुंबिया, ते गया कासी राय पासें जे.