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महावीर की साधना का रहस्य
अलाभ, जीवन-मृत्यु आदि द्वन्द्वों में व्यक्ति सम रह सकता है ? व्यवहार की भूमिका में यह विषमता अवश्य रहेगी। जब लाभ होगा तो प्रसन्नता फूट पड़ेगी और जब अलाभ होगा तो विषाद आ ही जाएगा। सुख होगा तो शरीर विकस्वर हो जाएगा और दुःख होगा तो सिकुड़ जाएगा । यह सामान्य बात है । भगवान् महावीर ने कहा है-इनमें सम रहने वाला सामायिक कर सकता है । वे कोरी कल्पना की बात तो नहीं कह सकते ? मैं कई बार सोचता हूं कि महावीर को इतने कष्ट झेलने पड़े, क्या कोई शरीरधारी व्यक्ति ऐसे कठोर कष्टों को झेल सकता है ? क्या ऐसी स्थिति में कोई समभाव में रह सकता है ? एक आदमी ने उनके कानों में कीलें ठोकी, गालियां दीं, फिर भी वे प्रसन्न रहे, हंसते रहे । जरा भी उनमें आवेश नहीं आया । यह कैसे संभव हो सका ? किन्तु सोचते-सोचते मुझे यह मिला कि सविकल्प मन में यह संभव नहीं है । मन की सविकल्प अवस्था में वही होगा जो मैंने कहा है । लाभ में सुख होगा, प्रसन्नता होगी और अलाभ में विषाद होगा, विषण्णता होगी । सुख होने पर आह्लाद की अनुभूति होगी और दुःख होने पर कष्ट की अनुभूति होगी। विकल्पयुक्त मन में यही होगा, और कुछ हो नहीं सकता। किन्तु जैसे ही हमने मन को विकल्प से खाली कर दिया, फिर चाहे लाभ हो या अलाभ, सुख हो या दुःख, कुछ भी अन्तर नहीं आएगा। क्योंकि जहां अन्तर आ रहा था, उसे तो हमने समाप्त ही कर डाला। जो अन्तर को पकड़ रहा था, उसे तो हमने नष्ट ही कर दिया । अब अन्तर करे कौन ? अन्तर करने वाला ही नहीं रहा । अन्तर करने वाला था विकल्प । विकल्प-चेतना को समाप्त कर दिया। अब बाहर में जो घटित हो रहा है, उसे पकड़ ही नहीं रहा है तो अन्तर आयेगा कैसे ? अन्तर तो तब आए जब उसे पकड़ने वाला मौजूद हो। पकड़ने वाला तो मर गया, समाप्त हो गया, घर छोड़कर चला गया, अब अन्तर क्या आयेगा ? तो निर्विकल्प अवस्था में रहकर महावीर ने कष्ट सहा था, इसलिए अन्तर नहीं आया । अगर वे सविकल्प अवस्था में रहते तो अन्तर अवश्य आता, फिर चाहे महावीर हो या कोई दूसरा । सम वह रह सकता है, जिसका मन निर्विकल्प होता है। समता और निर्विकल्प अवस्था—दोनों में तालमेल है । हम सामायिक का अनुष्ठान करते हैं और यदि मन को निर्विकल्प नहीं करते तो सामायिक का वह परिणाम, लाभ-अलाभ में सम, सुख-दुःख में सम निन्दा-प्रशंसा में सम, जीवन-मरण में सम, मान-अपमान में सम रहना नहीं होगा। यह स्थिति प्राप्त नहीं होगी, क्योंकि हमने मन को तो खाली किया