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________________ १६२ महावीर की साधना का रहस्य अप्रियता का भाव न जोड़ें। यह अभ्यास हमारे आचरण को मूलतः बदल देता है। फिर हमारा आचरण इन द्वन्द्वों की संवेदना से संचालित नहीं होता। उसकी गति अपने लक्ष्य की दिशा में स्वतंत्र हो जाती है।। हमारा सबसे अधिक अनुराग शरीर के प्रति होता है। उसका अनुराग ही दूसरी वस्तुओं में अनुराग उत्पन्न करता है । अनुराग का मूल स्रोत शरीर है, वस्तुएं नहीं। उस अनुराग को तोड़ने के लिए हम शरीर के परिवर्तनशील स्वरूप का अनुचिंतन करें, उसकी अनुप्रेक्षा करें, उसे निडरता से देखें । जन्म, बचपन, यौवन, बुढ़ापा और मृत्यु-एक ही शरीर की इन सब अवस्थाओं को देख जाएं । इसी प्रकार वस्तुओं के नश्वर स्वभाव का भी अनुचिंतन करें। इस अभ्यास से वैराग्य अपने-आप उत्पन्न हो जाता है। ___ यह अभ्यास-क्रम निरन्तर, बार-बार और श्रद्धापूर्वक किया जाना चाहिए । कादाचित्क और क्षणिक अभ्यास से वांछित परिणाम नहीं आ सकता । स्थिरता और एकाग्रता (अप्रमत्त चेतना) का अभ्यास-क्रम ध्यान के मूल तत्त्व हैं-यथार्थबोध, सम्यग्-दृष्टिकोण, अनासक्ति, अनाकांक्षा अभय और सहिष्णुता । ये सब स्थिरता और एकाग्रता में सहायक बनते हैं। कायिक ध्यान का अभ्यास तीन मुद्राओं में किया जा सकता है उत्थित (खड़े होकर), निषण्ण (बैठकर), और निपन्न (सोकर)। उत्थित मुद्रा में कायिक ध्यान करने वाला दोनों पैरों को सटा, दोनों पंजों में चार अंगुल का अन्तर डालकर, दोनों हाथों को घुटनों से सटाकर, शरीर को सम रखते हुए स्थिर हो जाए। आंखें अध-खुली रखे या मूंद ले । श्वास को मंद कर दे । कष्ट का अनुभव न हो तब तक शरीर को शिथिल रखते हुए खड़ा रहे। बैठकर कायिक ध्यान करने वाला अर्ध-पद्मासन, पद्मासन आदि सरल आसनों की मुद्रा में बैठे बायीं हथेली पर दायीं हथेली रखकर दोनों हाथों को नाभि के पास रखे । शरीर को शिथिल छोड़ दे । लेटकर कायिक ध्यान करने वाला सीधा लेट जाए। पैरों और हाथों को फैला दे । शरीर को ढीला छोड़ दे। इस कायिक ध्यान की सफलता के मूल तत्त्व हैं—श्वास की मंदता और शरीर की शिथिलता । शरीर जितना अधिक शिथिल और श्वास जितना अधिक मंद होता है उतना ही कायिक ध्यान सफल होता है।
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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