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________________ महावीर की साधना का रहस्य कहा – 'जाओ, हाथ का शब्द ! एक हाथ का शब्द सुनो एक हथेली का शब्द ! ध्यान सम्प्रदाय में एक साधक हुआ है । उसका नाम था 'मोकुराई' | वह afra मंदिर का अधिकारी था । उसका उपनाम था 'मौन गर्जन' । उसका एक छोटा शिष्य था । बहुत छोटा था, केवल बारह वर्ष का । नाम थाटोयो । वह बहुत प्रिय था। बार-बार आता था । एक दिन उसने गुरु से कहा - आप इतने लोगों को शिक्षा देते हैं, पढ़ाते हैं, ध्यान की पद्धति बताते हैं, कृपा कर मुझे भी बताइये । मेरे मन में भी अब जिज्ञासा पैदा हो गई है ।' गुरु ने थोड़ा ध्यान दिया और और सुनकर मुझे बताओ । एक उसने कहा'ठीक है ।' वह चल पड़ा । कुछ दूर चलने के बाद सोचा कि एक हाथ से शब्द कैसे होगा ? शब्द के लिए कोई-न-कोई संघर्ष चाहिए । एक हाथ से शब्द कैसे होगा ? शब्द के लिए दो का संघर्षण चाहिए । समस्या में उलझ गया और उसकी गहराई में चलना शुरू हो गया । कहते हैं - गहराई में जाओ, गहराई में जाओ, वह गहराई में उतरने लगा । सोचा, समझ में नहीं आया। बैठा था एक दिन वृक्ष के नीचे । शब्द हो रहा था । उसने सोचा, कोई दूसरा तो है नहीं, केवल पेड़ शब्द अपने गुरु के पास आया और बोला- 'मैंने है ।' गुरु ने कहा - ' किसका सुना ? कैसा है का शब्द सुनकर आ रहा हूं ।' नहीं, गलत है वापस जाओ ! ' गुरु ने कहा 1 फिर जंगलों में घूमता रहा, भटकता रहा, ध्यान करता रहा, और सोचता रहा । एक दिन भरने के पास बैठा था । उसका पानी गिर रहा था । गिरतेगिरते वेग बढ़ा और शब्द तेजी के साथ होने लगा । कर रहा है । दौड़ता हुआ एक हाथ का शब्द सुन लिया वह शब्द ?' उसने कहा - 'पेड़ । दौड़कर आया और गुरु पूछा - 'क्या हुआ ?' उसने सोचा- समस्या का समाधान हो गया । वह से बोला- 'आज मेरी समस्या सुलझ गई ।' गुरु ने उसने कहा- 'मैंने एक हाथ का शब्द सुन लिया ।' गुरु ने पूछा - 'कैसे सुना ?' उसने कहा- 'भरना भर रहा था, शब्द हो रहा था, और दूसरा कोई नहीं था ।' गुरु ने कहा'जाओ, अभी नहीं पहुंच पाये हो । फिर जाओ ।' बेचारा फिर चला गया । दसों बार भटकता रहा, गुरु को निवेदन करता रहा परन्तु गुरु ने कोई समाधान स्वीकार नहीं किया । फिर उसने सोचा कि यह एक हाथ का शब्द आखिर बला क्या है । सोचता- सोचता इतनी गहराई में पहुंच गया, इतनी गहराई में चला गया, जहां शब्द समाप्त हो जाते हैं । दौड़ता हुआ आचार्य के पास आया और बोला- 'आज मैंने एक हाथ का शब्द सुन लिया ।' गुरु १०६
SR No.032716
Book TitleMahavir Ki Sadhna ka Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya, Dulahrajmuni
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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