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बृहद्-निर्ग्रन्थ-स्तुतिमणिमञ्जूषा
जय नाणलच्छि-लंछिय ! जय जय नीसेस- लक्खणुक्किन्न ! । जय वसुहावासव-पणय-चलण ! जय जयहि वसुपुज्ज ! ॥ १२ ॥ जय खविय-कम्म- दढमल ! जय जय तेलोक्क- नहयल-मियंक ! | जय माया- कवड - कुडंगि- जलण ! जय जयसु जिण - विमल ! ॥ १३ ॥
जय दुराग-करि-हरि ! जय जय निय-कंति - दलिय - घणतिमिर ! । जय सह-विजय - जलहर ! जय जयसु अणंतजिणइंद ! ॥ १४ ॥
जय पयडिय - पायड - साहुधम्म ! जय जय पसत्थ- वर - ज्झाण ! । जय पणमिय-पणय ! मुणिंद- पणय ! जय जयसु जिण - धम्म ! ॥ १५ ॥
जय पणय-तियसकामिणि-धम्मेल्लुव्वेल्ल - कुसुम-कय-सोह ! | जय दुरिय-जल-जलहर ! जय संति-जिणिंद ! सुर नमिय ! ॥ १६ ॥
जय तुलिय- कप्पपायव - चिंतामणि- कामधेणु-माहप्प ! ।
जय समवसरण - भूसण ! जय कय-जय- हरिस ! जिण कुंथु ! ॥ १७ ॥
जय रइ - अरइ-विमद्दण ! जय जय जर मरण - रोग - रय- रहिय ! | जय राग-रोस - वज्जिय ! जय तिहुयण-पणय ! अरणाह ! ॥ १८ ॥
जय विजय- भुवण- डामर महल्ल-जममल्ल-लद्ध - जयसद्द ! । जय तिहुयण - सरवर - रायहंस ! जय मल्लि- जिणइंद ! ॥ १९ ॥
जय वयण - किरण - बोहिय- भव्व - महाकुमुय-संड- निसिनाह ! । जय मुणि- गण - संय ! मुणिसुव्वय ! सुजय जय नाह ! ॥ २० ॥
जय पणय-पाय-पंकय ! जय जय पप्फुल्ल-पंकय-दलच्छ ! । जय विजय - दुजय - घणघाइकम्म ! मुणिनमिय ! नय-चलण ! ॥ २१ ॥
जय जायवकुल-मंडण ! जय जय कंदोट्ट-वण्ण-संकास ! । जय भव-भय-निण्णासण ! जय जयसु [ अ ]रिट्ठवरनेमि ! ॥ २२ ॥
जय खुडिय - वियड - दढकम्म-पास ! जय जय पिगु-संकास । जय बत्तीस - सुराहिव-कय-मज्जण ! जयसु जिण-पास
॥ २३ ॥
जय जंबूणय - विब्भम ! जय जय तिसलाए वड्डियाणंद ! । जय जय विजय - परीसह ! जय तिहुयण-नाह ! जिण - वीर ! ॥ २४ ॥
इय जिणवरिंद - जयसद्द - कुसुममालं धरेइ जो कंठे ।
विमलगुणं सो पावइ सासय- सोक्खं सया मोक्खं ॥ २५ ॥