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________________ જામનગરનો ઇતિહાસ. (અગીઆરમી કળા) કુમારશ્રી અજાજી યુદ્ધમાં પધાર્યા ૩૩ તે વિષેના કુહાઓ - ॥दोहा॥ यहवा पंचसत भड अभंग, यहवा अजमल आप ॥ कर अजान अर सिंह कंध, अंग जोम अण माप ॥१॥ सामत लाडक भीम सम, नडर बीरवर नाग ॥. ए आदी अजमल अगां, मरद हले रणमाग ॥२॥ कुंवर अजे मृतनेम कर, छब बीरां रस छाय ॥ सूर संघातें पंचशत, हय भड लिये हलाय ॥३॥ नगर हुंत अरधक निसा, हल अजमल जुध हेत ॥ पहर हेक रहतांक प्रत, कटकां सामल केत ॥४॥ आय तंबु निज ऊतरे, कुंवर कचेरी कीष राजस प्रगटे वीररस, दुंदभ डंका कीध ॥५॥ सेको डंको सांभळे, वह तंबु दरबार ॥ तहां खबर हुई तरत, पंड अजमाल पधार । ६॥ परगह सुणते प्रथमहुं, जेसो आय बजीर ॥ कदमां जाय सलामकर, बेठो कचहरि बीर ॥७॥ कुंवर हुंत जेसो कहे, द्रढतें मृत सच दीध ॥ हम जाणे बरहोय सां, कुंवर जांनिया कीष । ८॥ रेन घटी चारक रहे, कळहण कथा करंत सूरां क्रम ध्रम कर सजे, त्रंब बजे तिण तंत क्रम धमकर सलहां कसे, सेंन दहुं थट सूर ॥ .. सिंधुर कह तोपां सजे, पेदळ सजिया पूर ॥१०॥ येण समे महरांण अप, अजाओत रण आय सामल चत्रदश निज सुतन, अवर सेन सजवाय ॥११॥ भोपलको भाद्रे सरह, अर खाखरडो आख ॥ पाट पती महरांगरे, ग्रांम ग्रासिका दाख ॥१२॥ :
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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