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________________ २०४ શ્રીયદુવંશપ્રકાશ (प्रथम ) बड नेत्र को पंखास बिथुरी चंच प्रळबँत चहकती ।। पग उंच विधविध ताछ पंडह बोल करती बहकती ॥ चत्र प्रहर राती उहां विहरे सूर ऊगत संचरे-पळचर. ॥ ७ ॥ चरत सुदेख विचार भूचर थाणहारस थावसी ॥ पें कहण जोग वजीर जापत कोइक भेद कहावसी ॥ हडियाण जां जेसाण हूंता भेद कहियो भूचरे-पळचर. ॥ ८ ॥ जेबात सुणत बजीर जेसे तांम पंडित तेडिया ।। पंखीस आवण करण परखां हुकम जोतस होडिया ॥ बिवध ब्रहम विचार बोले सथळ तहि दळ संचरे-पळचर. ॥९॥ यह चरत भारथ हुवा आगम बहत पंखी बोलियां ॥ रांमाण के यह त्रीयो भारथ तोल ब्रहमन तोलीया ॥ कोइ सीध पुरुष विचार काढहु परख पंखी सदयरे-पळचर. ॥१०॥ आंणियो गोती सिद्ध मानव देख भूचर संगदे ॥ थल रहण पंखी जाय थमिया भेद समझण भार दे । कर पत्र छपवे मेल कहियो उचर पंखी आदरे-पळचर. ॥११॥ खट घटी रजनी जात पंखण वृंद पळचर वंसिया ॥ महमांसु भाखा मांझ मांझळ काज जुध आगम किया । सो सिद्ध नर कर याद श्रुतसो साच संग्रह संचरे-पळचर. ॥१२॥ ओचरे आगम एम ऊडन होवसी पावस हवां ॥ पख क्रसन श्रावणमास ऊपर आठमी से तथ अवां ॥ पळ भखण तिण दिन हुवस पूरण दुवण पँड रण दरसरो-पचर. ॥१३॥ संग्राम यह ठामास स्रावण अवस आवण आथडे ।। पतसाह हाला थाट पाधर चुरस दळ वादळ चडे ।। ग्रहरास त्रंबक नाद गुडसी स्रोण सलिता सरवरे-पळचर. ॥१४॥ झणणाट पाखर हुवस झणझण कडी बगतर कणकणे ॥ हणहणस घण तोखार हूकळ रुंक बजसी रणरणे ॥ गजराज बीरां घंट ठणणण भ्रखण जोगण पत्र भरे-पळचर. ॥१५॥ रुद्राळ रुद्र रँडमाण रचसी करमाळ बहसी काळरे ॥
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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