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________________ EEEEE જામનગરને ઇતિહાસ, (અષ્ટમી કળા) ૧૧૧ -: जामनगर वसाव्या विशेनुं चारणी भाषानुं काव्य : ॥ छंद बेताल ॥ नृप जाम रावळ सुणो निश्चय, एम सुगन उचारहे ॥ यह उपर खीली आंण अणडग. बिसद लगन बिचारहे ॥ परकास संवत कहे पनरह, साल छीनवे शोधीयो ॥ सत चउद शाका नृपह इकसठ, प्लवंग छमछर पेखीयो ॥ १ ॥ रतपावसह फिरगोळ उत्तर, मास श्रावण मानीयें ॥ पख शुकल सपतम घटी इकपर, ताय चाळीशपळत्रीये ॥ बुधवार लगनह सींह देखहु, नखत्र स्वांत अनुपकं ॥ पह घटी सतरा पळह चोपन, जोग शुकलं जोपकं ॥२॥ चालीश नव घटीका बीचातह, पळह चोपन पेखीये ॥ कर करण वाणीज एक घटीका, दोय विस मुर देखीयें ॥ उदीयात घटीका एक पळ, अरु त्रीस आठह तो लहु ॥ दुडीयंद आये जदह दःखण, विवध तिणगत बोलहु ॥३॥ नामं जयंद्र समाज नामा, अरुण अग्र अरुढीयं ।। रथ जुवण श्रोता जक्ष राजत. अंगीरा रुषी अग्रयं । अहिराज वीटह अलापत्रह, बिरज आसुर ठेलवं । गंधरव विश्वावसु गावण, ख्याल नाटीक खेलवं ॥४॥ प्रमलोच नामा अच्छर ततपत, शोभसिंह संक्रांतियं ॥ उदीयात श्रावण एम आखे, भाण विध विध भात्तिय ॥ यहजोग खीली लगी सरयह, अधक सुगण सुआयहे ॥ एतखत क्रोऽह वरस अविचळ, कथा पंडीत काय हे ॥ ५ ॥ पळ आय तोरण सार परठहुं, अमर अभय अजीत्तीयं ॥ यह ठोर भूपत अधक अधका, करण हे जीम क्रित्तीयं ॥ पतशाह उथपण थपण प्राक्रम, आयहे धर एहीयं ।। सरमोड राया तणा सर सब, जाग ठावण जेहीयं ॥ ६॥ पतशाह पदवीधर पछमरी, जाम जदुकुळ जोहीयं ।। तत परज आगे लगनतोळह, हुकम अधको होहीयं ॥
SR No.032687
Book TitleYaduvansh Prakash ane Jamnagarno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMavdanji Bhimjibhai Rat
PublisherMavdanji Bhimjibhai Rat
Publication Year1934
Total Pages862
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size24 MB
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