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1 st INTERNATIONAL JAIN
CONFERENCE
फिजूलखर्ची कम कर समाजोपयोगी कार्यों में लगाने का संकल्प कर सभी को लाभान्वित कर सकती है।
विश्व में शान्ति और सद्भाव तभी स्थापित हो सकता है जब मानव का विकास सही ढंग से हो। मानव-जीवन के विकास में नारी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मानव का विकास उन चारित्रिक गुणों से होता है, जिनकी शिक्षा व्यक्ति को माता के रूप में सर्वप्रथम नारी से ही मिलती है। इसी तरह गृहस्थ जीवन को संयमित बनाने में भी नारी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इतिहास साक्षी है कि नारी ने घर, परिवार, समाज और देश के उत्थान में हमेशा पुरुष को सहयोग प्रदान किया है। रानी चेलना, राजीमती, मल्लीकुमारी, अंजना, सीता आदि कितनी ही नारियों के आदर्श हमारे सामने हैं।
इसप्रकार प्राचीनकाल से महिला जैन धर्म-दर्शन के सिद्धान्तों को जीकर तथा अपने आचरण से दूसरों को प्रेरित कर वैश्विक धरातल पर उपयोगी बना रही है।