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________________ कवि ने अपना विशेष परिचय देते हुए ग्रन्थ के अन्त में लिखा है कि 'ह्रीं' देवी के दर्शन के प्रताप से यह कथा लिखी है। अपने को सिद्धान्त सिखाने वाले गुरु वीरभद्र और युक्ति सिखाने वाले गुरु .....को माना है। अपने सांसारिक अवस्था के पूर्वज आदि का परिचय देते हुए लिखा है कि त्रिकर्माभिरत, महादुकर में प्रसिद्ध उद्योतन नामक क्षत्रिय हुआ जो वहां का तत्कालीन भूमिपति था। उसका पुत्र संप्रति या वडेसर कहलाता था। उसके पुत्र उद्योतन ने जावालिपुर नगर में वीरभद्र कारित श्री ऋषभदेव जिनालय में चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भव्यजन को बोध देनेवाली इस कथा का निर्माण किया। उस समय वहां श्री वत्सराज नामक राजा राज्य करता था। कवि ने अपना चन्द्रकुल लिखा है। काव्य बुद्धि या कवित्वाभिमान से नहीं पर धर्म कथा कहने के आशय से इस ग्रन्थ की रचना की है। कवि के दीक्षा गुरु तत्त्वाचार्य थे। प्रतिहार वंशी राजा वत्सराज जावालिपुर में राज्य करते हुए भी गौड़, बंगाल, मालव प्रदेशों में दिग्विजय करके उत्तरापथ में महान राज्य स्थापित करने में उद्यमशील था। २. चैत्यवन्दनक-जैन धर्म में फैले हुए चैत्यवास शिथिलाचार को दूर कर विधिमार्ग प्रकाशक, दुर्लभराज की सभा, पाटन में खरतर विरूद प्राप्त करने वाले जैनाचार्य जिनेश्वरसूरि ने सं० १०८० का चातुर्मास जावालिपुर-जालोर में करके प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की। ३. अष्टक प्रकरण वृत्ति —यह रचना भी सं० १०८० में श्री जिनेश्वरसूरिजी ने की। ४. पंच ग्रन्थी व्याकरण-उपर्युक्त श्री जिनेश्वरसूरिजी के गुरु भ्राता श्री बुद्धिसागरसूरिजी ने इसी सं० १०८० के चातुर्मास में ७००० श्लोक परिमित इस महान व्याकरण ग्रन्थ की रचना की है। इसकी प्रशस्ति के ११३ श्लोक में रचना समय और स्थान का निर्देश इस प्रकार है :श्रीविक्रमादित्य नरेन्द्र कालात साशीतिके थाति समा सहस्र। सश्रीक जावालिपुरे तवाद्य दृब्धं मया सप्त सहस्र कल्पम् ॥११॥ ५. विवेक विलास -यह ग्रन्थ अनेक व्यवहारिक विषयों से संपृक्त है जिसकी रचना वायड़गच्छीय श्री जिनदत्तसूरिजी ने जावालिपुर नरेश चाहमान उदयसिंह के मंत्री देवपाल के पुत्र धनपाल के लिए की है जिसकी प्रशस्ति यहां उद्धृत की जाती है।
SR No.032676
Book TitleSwarnagiri Jalor
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharati Acadmy
Publication Year1995
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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