SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 126
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१२) निमित्त मठपति गोष्टि (ष्ठि) क(१३) समक्षं श्रीमहावीर देव - (१४) भांडागारे द्रम्माणा सता(१५) द्धं प्रदत्त ॥ तद्व्याजोद्भवे(१६) न द्रम्मार्द्धन नेचर्कमासं (१७) प्रति करणीयं ॥ शुभंभवतु ॥ (१४) गौडीपार्श्वनाथ चरण पव्वासन पर श्री परमात्मने नमः । संवद्वैश्वानर कृतिका तनयानन नाग-रोहिणीरमण (१८६३) प्रमिते वसु नयनाश्ववसुधरा (१७२८) परिमिते शके च प्रवत माने मासोत्तम-फाल्गुन-मास वलक्षे पक्षे द्वादशी १२ तिथौ भृगुवासरे कुदकुमुदचंच च्चारुचंन्द्र चन्द्रिकाति विशद विलसद्यशोवितान धवलिताखिल जगन्मंडलेषु, तरुण तरणिमंडल समप्रभाऽखंडाऽस्खलित जयोत्थ तापज्वल ज्ज्वालामाला-वलीढवंरि जन काननोद्भ त प्रभूत धूमधूसरित गीर्वाणपथेषु, राजराजेश्वर महाराजाधिराज श्री १०८ श्रीमानसिंघेषु, तत्सुत श्रीमन्महाराज राजकुमार श्री छत्रसिंहजी विजय पालित श्रीजालोर दुर्गे श्रीमद्गवडी पार्श्वनाथ जिनेन्द्राणामयं प्रासादः, श्रीबृहद् खरतर भट्टारकीय गच्छाधिराज जंगमयुगप्रधान-भट्टारक क्षीजिनहर्षसूरीश्वरैः प्रतिष्ठितः । ओस वंशोद्भव-बंदाभिधान गोत्रीय मुख्यमंत्री मु० अखयचंद्रण सुतलक्ष्मीचंद्रयुतेनाऽयं प्रासादः कारितश्च । कारिगर सोमपुरा काशीराम-कृतः । [ १०१
SR No.032676
Book TitleSwarnagiri Jalor
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharati Acadmy
Publication Year1995
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy