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________________ (२) विजयिराज्ये मुहणोत्र गोत्रे वृद्ध उसवाल ज्ञातीय सा० जेसा भार्या जयवंतदे पुत्र सा. जयराज भार्या मनोरथ दे पुत्र सा० सादा सुभा सामल सुरताण प्रमुख परिवार पुण्यार्थं श्री स्वर्णगिरि गह (ढ) दु (३) गोपरिस्थित श्रीमत् कुमर विहारे श्रीमति महावीर चैत्ये सा० जेसा भार्या जयवंतदे पुत्र सा० जयमलजी वृद्ध भार्या सरूपदे पुत्र सा० नहणसी सुन्दरदास आसकरण लघुभार्या सोहागदे पुत्र सा० जगमालादि पुत्र पौत्रादि श्रेयसे (४) सा० जयमलजी नाम्ना श्री महावीर बिंबं प्रतिष्ठा महोत्सव पूर्वक कारितं प्रतिष्ठितं च श्री तपागच्छ पक्षे सुविहिताचार कारक शिथिलाचारण [ निघा ]रक साधु क्रियोद्धार कारक श्री आणंदविमलसूरि पट्ट प्रभाकर श्री विजयदानसूरि (५) पट्ट शृंगार हार महाम्लेच्छाधिपति पातशाहि श्री अकबर प्रतिबोधक तद्दत्त जगद्गुरु विरुदधारक श्री शत्रुजयादितीर्थ जीजीयादि करमोचक तद्दत्त षण्मास अमारि प्रवर्तक भट्टारक श्री ६ हीरविजयसूरि पट्ट मुकुटायमान भ० (६) श्री ६ विजयसेनसूरि पट्टे संप्रति विजयमान राज्य सुविहित शिरः शेखरायमाण भट्टारक श्री ६ विजयदेवसूरीश्वराणामादेशेन महोपाध्याय श्री विद्यासागर गणि शिष्य पंडित श्री सहजसागरगणि शिष्य पं० जयसागर गणिना श्रेयसे कारकस्य । (१) ॥ संवत् १६८३ वर्षे आषाढ बदि ४ गुरौ श्रवण नक्षत्रे । (२) श्री जालोर नगरे स्वर्णगिरि दुर्गे महाराजाधिराज महाराजा श्री गज सिंहजी विजय राज्ये । (३) महुणोत्र गोत्र दीपक मं० अचला पुत्र मं० जेसा भार्या जैवंतदे पु० मं० श्री जयमल्ल नाम्ना भा० सरुपदेद्विती (४) या सुहागदे पुत्र नयणसी सुदरदास आसकरण नरसिंहदास प्रमुख कुटुब युतेन स्व श्रेयसे ॥ श्री धर्म (५) नाबिंब कारितं प्रतिष्ठितं श्री तपागच्छ नायक भट्टारक श्री हीर विजयसूरि पट्टालंकार भट्टारक श्री विजयसेन. [ सूरिभिः ? ] ॥ ९८ ]
SR No.032676
Book TitleSwarnagiri Jalor
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherPrakrit Bharati Acadmy
Publication Year1995
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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