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सवाल जाति का इतिहास
में स्थानकवासी जैन सभा के स्थापन में राय साहब लाला टेकचन्दजी के साथ प्रधान सहयोग लिया । आप उसके अम्बाला अधिवेशन के प्रेसिडेंट थे तथा जीवन भर वाइस प्रेसिडेंट रहे थे। लाहोर के अमर जैन होस्टल के बनवाने में आपने बहुत बड़ा परिश्रम उठाया । एवं स्वयं ने उसमें कमरे भी बनवाये । बनारस युनिवर्सिटी में आप पंजाब के जैन समाज की ओर से मेम्बर थे । आपके स्वर्गवास के समय कसूर की कोर्ट कचहरी, स्कूल, आदि बंध रक्खे गये थे और आपके कुटुम्बियों के पास आसपास के तमाम हिम्दुस्तानी व. अंग्रेज गण्य मान्य सज्जनों ने दिलासा के पत्र आये थे । आपकी यादगार में आपके भतीजे ने १० हजार की लागत की एक बिल्डिंग स्थानीय जैन कन्या पाठशाला को बनवाकर दी ।
इस समय इस परिवार में लाला गौरीशंकरजी के पुत्र लाला अमरनाथजी, लाला रघुनाथदासजी तथा लाला देवराजजी विद्यमान हैं। आप तीनों भाइयों का जन्म क्रमशः संवत् १९५३, ५६ तथा १९५९ में हुआ है । लाला अमरनाथजी तथा रघुनाथदासजी सराफी तथा बैङ्किग व्यापार संभालते हैं तथा ला देवराजजी कसूर के म्युनिसिपल कमिश्नर, ऑनरेरी मजिस्ट्रेट तथा मेम्बर डिस्ट्रिक्ट बोर्ड हैं। आपका परिवार कसूर में नामी माना जाता है।
लाला रघुनाथदासजी के पुत्र अजितप्रसादजी, मदनलालजी, जलंधरनाथजी तथा पुरुषोत्तमदासजी हैं। इसी प्रकार देवराजजी के पुत्र शीतलप्रसादजी, सुमतिप्रकाशजी, भूपेन्द्रकुमारजी और सतपालजी हैं।
लाला फग्गूमल मोतीराम दूगड़, लाहोर
इस खानदान में लाला हरजसरायजी के पुत्र फम्मूशाहजी हुए। लाला फग्गूशाहजी के पुत्र लाला दुमीचन्दजी और लाला मोतीरामजी हुए। इन दोनों भाइयों ने करीब ३०, ३५ वर्ष पूर्व लाहौर में एक दीक्षा महोत्सव कराया तथा इन्होंने एक जंजाधर नामक विशाल मकान बनवाकर धर्म कार्य के लिये दान दिया । लाला दुनीचंदजी लाहौर तथा पंजाब प्रान्त की जैन समाज में नामी आदमी थे । धर्मं के कामों में आप दिलेरी के साथ खरच करते थे। आपका स्वर्गवास लगभग १९६५ में हुआ । लगभग २५/३० साल बाद आप दोनों भाइयों का कारवार अलग २ हो गया। इस समय लाला दुनीचंदजी के पुत्र छाला खेरातीलालजी, दुनीचंद खेरातीलाल के नाम से जनरल मर्चेंट का व्यापार करते हैं ।
लाला मोतीरामजी का जन्म संवत् १९२५ में हुआ । आप लाहौर की जैन समाज में बहुत इज्जत रखते हैं। आपके लाला विलायतीरामजी, लाला खजाँचीमलजी और लाला ज्ञानचन्दजी नामक ३ पुत्र हुए। इनमें विलायतीरामजी संवत् १९८१ में स्वर्गवासी हो गये ।
लाला खजचीमलजी का जन्म संवत् १९५७ में तथा ज्ञानचन्दजी का १९६२ में हुआ
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