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________________ सेठ मोतीलाल नेमचन्द दूगड़, कलकत्ता इस परिवार के लोगों का पूर्व निवासस्थान फतेपुर (सीकरी) नामक स्थान था जहाँ आपके पूर्वजों ने कमाल के काम किये जिनका विवरण अन्यत्र दिया जा रहा है। फतेपुर से चलकर आपके पूर्वज सवाई नामक स्थान पर आये । और जब कि सरदारशहर बसा यहाँ से भाप लोग वहाँ आ गये यहाँ आने वाले सजन सेठ अमरचन्दजो के पुत्र गुलाबचन्दजी थे। आपके पुत्र मगनीरामजी सवाई में ही रहे और उनका स्वर्गवास भी हुआ। उनके पुत्र हरकचन्दजी हुए। हरकचन्दजी के तीन पुत्र हुए जिनमें से शोभाचाइजी के पुत्र सुमेरमलजी विद्यमान हैं तथा इस समय नौकरी कर रहे हैं। सेठ गुलाबचन्दजी इस परिवार में नामी व्यक्ति हुए। आपने कलकत्ता जाकर यहीं के आचालिया नरसिंहदासजी के साझे में मनीहारी का काम करने के लिये फर्म खोली। इसमें आपको अच्छा लाम रहा। इसके बाद आपका साझा अलग अलग हो गया। माप संवत् १९५३ तक और भी लोगों के शामलात में व्यापार करते रहे। पश्चात् १९६२ में आपने उपरोक्त नामकी फर्म स्थापित की जो इस समय भी चल रही है। आपके तीन पुत्र हुए जिनके नाम रावतमलजी, पुनीलालजी और बालचन्दजी है। प्रथम और तृतीय का परिवार सरदारशहर ही में रहता है। वर्तमान परिचय सेठ सुनीलाल के के परिवार का है। सेठ चुनीलालजी बड़े होशिमार और व्यापार कुशल व्यक्ति थे। पापका स्वर्गवास हो गया । आपके केसरीचंदजी, मगराजजी और हुलासचंदजी नामक तीन पुत्र हुए। सेठ मगराजजी का स्वर्गवास संवत १९६१ तथा केशरीचंदजी का संवत् १९०१ में हो गया। वर्तमान में हुलासचंदजी की वय ५७ वर्ष की। भाप सजन व्यक्ति हैं। . सेठ केसरीचंदजी के सुजानमलजी और उदयचंदजी नामक दो पुत्र हैं। भाप दोनों भाई व्यापार संचालन करते हैं तथा खुश मिजाज हैं। सुजानमलजी के सौभागमसजी, मनीयालालजी और रतनलालजी नामक तीन पुत्र हैं। सेठ मगराजजी के छगनमलजी, मोतीलालजी और इन्दचन्दजी नामक पुत्र हैं। इनमें से मोतीलालजी का स्वर्गवास हो गया। शेष व्यापार संचालन करते हैं। संगनमलजी के हीरालालजी, और इन्द्र चन्द्रजी के अनोपचन्दजी नामक पुत्र है। सेठ हुलासचन्दजी के मेमचन्दजी, भैरोंदानजी और सोहनलालजी नामक तीन पुत्र हैं । नेमीचन्दजी का स्वर्गवास हो गया। शेष व्यापार संचालन में सहयोग देते हैं। इस फर्म का व्यापार कलकत्ता में ४६ स्ट्राँड रोड में मोतीलाल नेमचन्द के मामसे चलानी का तथा
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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