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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास सुजानमलजी सराफ - आपका जन्म संवत् १९१४ में हुआ । रतलाम से आने पर आप जोधपुर स्टेट में असिस्टेण्ट ऑडीटर मुकर्रर हुए तथा संवत् १९५९ में स्टेट के आडीटर बनाये गये । आप ने स्टेट की पुरानी हिसाब पद्धति में बहुत से सुधार कराये । इस पद्धति का अनुकरण कई स्टेंटों ने किया । इसके सिवाय मारवाड़ की हुकूमतों में ब्रांच ट्रेलरी कायम करवाई तथा रेलवे कं० के अकाउंट में बहुत माद्दे की गलतियाँ ठीक करवाई। आपकी योग्यता की मुसाहिब आला शुकदेवप्रसादजो, फाइनेंस मेम्बर कर्नल टेटर्सन, स्टेट आडीटर मि० गॉयडर तथा पेस्तनजी नेर वानजी ने समय २ पर सार्टिफिकेट देकर प्रशंसा की । वृद्ध हो जाने से सन् १९१८ में आप रिटायर्ड हुए। आपके पुत्र सराफ गणेशमलजी हुए । गणेशमलजी सराफ - आपका जन्म सन् १८८१ में हुआ । १९०० में आप रेसिडेंसी ट्रेनिंग में भरती हुए । यहाँ से दूगरपुर, इन्दौर आदि स्थानों में सर्विस कर आप जोधपुर म्यु० में लागू हुए तथा सन् १९०३ में महकमा वाक्यात के सुपरिन्टेन्डेण्ट बनाये गये। तब से आप इसी ओहदे पर कार्य्यं करते हैं। इसके साथ आप सन् १९१४ से २३ तक असिस्टेण्ट सुपरिटेन्डेन्ट कस्टम भी रहे। इस समय आपने मारवाड़ की हद में जाने वाली बी० बी० सी० आई० रेलवे के लिए कस्टम ज्युरिडिक्शन के वारे में ऐसा केस तयार किया, जिससे गवर्नमेंट ने मारवाड़ की ज्युरिडिक्शन मानली । जब पुरानी बकाया के कारण राज्य ने जनता के बहुत से मकानात जप्त कर लिये थे उस समय आपने उनके देनों को निपटा कर वापस मकान दिलवा दिये । इससे स्टेट के फाइनेंस मेम्बर मि० बेल हेवन ने आपकी होशियारी की प्रशंसा की । सन् १९२० में दरवार से सिफारिश कर आपने काश्तकारों के ६०/७० लाख बकाया रुपये माफ करवाये । सर्विस के अलावा सराफ गणेशमंलजी ने सरदार हाईस्कूल की सेवाओं में चिस्मरणीय योग दिया तथा आरंभ से ही उसकी नींव को दृढ़ बनाने में आप विशेष प्रयत्नशील रहे । सन् १९०३ से मेहता बहादुर मलजी गधैया के साथ हाईस्कूल को संगठित किया । सन् १९११ में आपने अपने सुपर बीजन में २० हजार की विल्डिंग बनवाई। जब फंडमें कमी आ गईं तो चंदा एकत्रित करने का बीड़ा आपने उठा कर बहुत रकम एकत्रित करवाई। जब उपरोक्त जगह कम पढ़ने लगी तो हाईस्कूल की पुरानी स्टेट बेच कर हाईस्कूल की वर्तमान बिल्डिङ्ग भेरों बाग में बनवाने में कार्य्यं तत्परता बतलाई। इस समय भी आप शाह नौरतनमलजी भाण्डावत के साथ संस्था की सेवा में योग देते हैं। आपने अपनी प्राईवेट साबरी की दो-तीन हजार किताबें हाईस्कूल को भेंट दी हैं । गणेशमलजी सराफ सुधरे विचारों के सज्जन हैं। आपने अपनी कन्या का विवाह एक साधा श्ग स्थिति के युवक भण्डारी लाडमलजी के साथ किया तथा एफ० ए० २० हजार रुपया देकर उन्हें अपने पुत्र सरदारमलजी के साथ मद्रास में ३७२ की शिक्षा खतम कर लेने पर सरदारमल लाडमल के नाम से
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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