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________________ शाह नोरतनमलजी भांडावत, जोधपुर शाह नौरतनमलजी उन उन्नतिशील व्यक्तियों में हैं जो अपनी योग्यता, बुद्धिमानी और कार्य तत्परता के बल पर अपनी परिस्थिति को उत्त कर समाज में अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करते हैं। आपके पितामह श्री गुनेचन्दजी भांडावत अजमेर में साधारण व्यवसाय करते थे। इनके २ पुत्र हुए । घेवरचन्दजी तथा फूलचन्दजी । गुनेचन्दजी भांडावत का स्वर्गवास लगभग संवत् १९२६ में हुआ। __ शाह फूलचन्दजी का जन्म सं० १९०७ एवं देहावसान १९६६ में हुआ। आप भी विशेष कर जीवन भर अजमेर में ही व्यवसाय करते रहे । आपके पुत्र शाह नोरतनमलजी का जन्म संवत् १९३० की भासोज सुदी को हुआ। शाह नोरतनमलजी अपने समय के छात्रों में बड़े मेधावी नवयुवक थे। आपका शिक्षण गवर्नमेन्ट कालेज अजमेर में हुआ। कुशाग्र बुद्धि होने के कारण आप युनिवर्सिटी में एफ० ए० में फस्र्ट, बी० ए० में सेकंर तथा एल० एल० बी में फर्स्ट आये। सन् १८९८ में एल० एल० बी० में सारी युनिवर्सिटी में प्रथम उत्तीर्ण होने के उपलक्ष में आपको एक स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ है। संवत् १९५२ में शाह नौरतनमलजी जोधपुर में प्रोफेसर होकर आये । भापके यहाँ आने के १५ साल बाद आपके पिताजी भी जोधपुर आ गये। सन् १९०० के अप्रैल तक भाप जोधपुर कालेज के सीनियर प्रोफेसर रहे। पश्चात् भापकी ज्युडिशियल लाइन में सर्विस हुई । सन् १९०० में आप असिस्टेंट सुपरिन्टेन्डेन्ट कोर्ट ऑफ सरदार्स एवं सन् १९०८ में सुपरिन्टेन्डेन्ट ज्युडिशियल नार्थवेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट तथा फिर फरवरी १९१३ में फौजदार (असिस्टेन्ट सेशन जज) के पद पर नियुक्तहुए । सन् १९१३ के दिसम्बर में आप जोधपुर के असिस्टेन्ट व्हाइस प्रेसिडेन्ट निर्वाचित किये गये। फिर सन् १९९६ में आप सेक्रेटरी मुसाहिब आला हुए । जब यह ओहदा टूट गया तब सन् १९२७ में आप डिस्ट्रिक्ट सेशन जज और फिर १९२९ से जनवरी १९३३ तक चीफ कोर्ट के जज रहे । शाह नौरतनमलजी जोधपुर की ओसवाल समाज में ऊँचे दर्जे के शिक्षित तथा समाज सुधार के विचार रखने वाले सजन हैं। आप बड़े मेधावी तथा लोकप्रिय महानुभाव है । जोधपुर की ओसवाल समाज का शिक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करने में आपका प्रधान हाथ है। सरदार हाईस्कूल की आपके द्वारा बहुत उन्नति हुई है। जब से सरदार हाईस्कूल स्थापित हुआ है तब से आप उसके ऑनरेरी सुपरिन्टेन्डेन्ट
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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