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कटारिया
यहाँ हमीरमल पूनमचन्द के नाम से कपड़े का तथा धनराज दगडूराम के नाम से किराने का व्यापार होता है। आप स्थानकवासी आम्नाय के मानने वाले हैं।
सेठ फौजमलजी का स्वर्गवास सम्बत् १९८५ में हुआ। आपके पुत्र लखमोचन्दजी, लालचंदजी पनालालजी तथा माणकचन्दजी विद्यमान हैं। इनमें पन्नालालजी अहमदनगर दत्तक गये हैं। इन भाइयों का यहाँ अलग २ व्यापार होता है । लखमीचन्दजी के पुत्र हंसराजजी हैं।
सेठ उम्मेदमल चुन्नीलाल कटारिया, रालेगांव (बरार)
इस कुटुम्ब का मूल निवास रीयां (मारवाड़) है । सेठ जवानमलजी चुनीलालजी तथा कुंदनमलजी नामक तीनों भ्राता देश से सम्बत् १९४० तथा ५० के मध्य में अलग २ आये । सेठ जवानमलजी ने प्रथम यहाँ पाकर से अमरचन्द रतनचन्द मुहणोत के यहाँ सर्विस की।
सेठ चुनीलालजी का जन्म सम्बत् ११३४ में हुआ। आपने किराने के व्यापार में विशेष सम्पत्ति कमाई । सम्बत् १९५६ में चुचीलालजी और कुन्दनमलजी का व्यापार अलग २ हुआ। सेठ चुन्नीलालजी
पाँव, वर्दा, पांढरकवड़ा आदि की ओसवाल समाज में प्रतिष्ठित सज्जन हैं । अहमदनगर मंदिर के कलश चढ़ाने में मापने २१००) दिये हैं। इसी तरह कड़ा (मआष्टी) की जैन पाठशाला, पाथरडी पाठशाला, आगरा जैन अनाथालय आदि संस्थाओं को सहायताएँ देते रहते हैं। सम्वत् १९६४ में आग लग जाने से आपकी सब सम्पत्ति नष्ट हो गई । लेकिन पुनः आप लोगों ने हिम्मत से सम्पत्ति उपार्जित कर व्यापारिक समाज में अपनी इज्जत बढ़ाई।
सेठ कुन्दनमलजी का सम्वत् १९६२ में स्वर्गवास हुआ। आपके हीरालालजी तथा रतनचंदजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें रतनचन्दजी चुन्नीलालजी के नाम पर दत्तक गये। आप दोनों सज्जन भी व्यापार संचालन में भाग लेते हैं । हीरालालजी का जन्म १९४८ में तथा रतनचन्दजी का १९५२ में हुआ। हीरालालजी पांढरकवड़ा में तथा रतनलालजी अपने पिताजी के साथ रालेगाँव में दुकान का काम देखते हैं । हीरालालजी के पुत्र मिश्रीलालजी, पुखराजजी तथा प्यारेलालजी हैं। इस परिवार की रालेगाँव में बहुत कृषि होती है तथा बाग बगीचा आदि स्थाई सम्पत्ति है। वहाँ के धनिक परिवारों में इस कुटुम्ब की