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प्रोसवाल जाति का इतिहास
- सेठ बनाजी कटारिया-आपका जन्म संवत् १९१९ में हुणा। धार्मिक कामों में आपका बहुत बड़ा लक्ष था। मापने सम्बत् १९८६ में सनपुर से एक संघ निकाला। इस संघ में १००० पुरुष तथा स्त्री सम्मिलित हो गये थे। सनपुर से यह संघ २२ दिनों में एरनपुरा पहुंचा। यहाँ से मगसर सुदी । को ५ स्पेशल ट्रेनें संघ को लेकर रवाना हुई। अनेक स्थानों पर भ्रमण करता हुमा यह संघ ॥ दिनों में वापस एरनपुरा पहुंचा। इस संघ के उपलक्ष में कलकत्ते में ३ अजीमगंज में एक और जयपुर में एक स्वामीवत्सल किये गये । इस प्रकार इस संघ में बनाजी सेठ ने 1 रुपया व्यय किया।
___ इस संघ में सबसे दुखदायक घटना यह होगई कि अजीमगंज से इस संघ में कोलेरा का प्रवेश हुमा । जिससे बख्तियारपुर में संघवी बनाजो के पुत्र माणकचन्दजी का स्वर्गवास हो गया। इसी तरह कौलेरा से लगभग ६० मौतें और हो गई।
_सेठ बनाजी ने सनपुर के पास स्याकमा नामक स्थान के मन्दिर में तथा पूना के बेताल पैठ के मन्दिर में श्री पाश्र्वनाथ भगवान की प्रतिमाएं प्रतिडित कराई, इस तरह धार्मिक जीवन बिताते बुए भाप सम्वत् १९९० की अगहन सुदी को स्वर्गवासी हो गये।
वर्तमान में इस परिवार में सेठ बगाजी के पुत्र लम्बाजी क्यारिया तथा माणिकचन्दजी के पुत्र पूनमचंदजी और रतनचन्दजी कटारिया और लूम्बाजी के पुत्र कपूरचन्दजी कटारिया है। श्री पूनमचन्दजी तथा कपूरचन्दबी व्यापार में भाग लेते है । यह परिवार मंदिर मार्गीय आम्नाय का मानने वाला है। भापके यहाँ पूना लश्कर के सदरबाजार में बनाजी राजाजी के नाम से वेकिंग व्यापार होता है।
सेठ हमीरमल पूनमचन्द कटारिया, न्यायडोंगरी (नाशिक)
इस परिवार का मूल निवास स्थान पंडावळ (जोधपुर स्टेट ) है देश से इस परिवार के पूर्वज सेठ दौलतरामजी कटारिया के पुत्र सेठ हमीरमजी कटारिया संवत् १९९६ में व्यापार के लिये अहमदनगर भाये और यहाँ से एक साल बाद भाप न्यायडोंगरी आये। और एक साल नौकरी कर कपड़े का व्यापार शुरू किया । सम्वत् १९३६ में आपके छोटे भाई फौजमलजी भी न्यायडोगरी आ गये। सेठ हमीरमजी का सम्वत् १९६८ में स्वर्गवास हुआ। आपने म्यापार की उन्नति के साथ २ अपने समाज में भी अच्छी इज्जत हासिल की। भापके पूनमचन्दजी तथा चुनीलालजी नामक २ पुत्र हुए। इनमें सेठ पूनमचन्दजी सम्वत् १९४८ में ५४ साल की आयु में स्वर्गवासी हुए। इनके पुत्र धनराजजी व्यापार में भाग लेते हैं।
सेठ चुनीलालजी का जन्म सम्बत् ११३८ में हुभा । भाप न्यायडोंगरी के अच्छे प्रतिष्ठित व्यक्ति है। भापके पुत्र दगदूरामजी तथा धोंडीरामजी है। इनमें दगदूरामजी व्यापार में भाग लेते हैं। भापके