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________________ कटारिया सीतामऊ स्टेट में यह परिवार सम्मानीय परिवार माना जाता है । समय २ पर महाराजा आपकी हवेली पर पधार कर आपको सम्मानित करते रहते हैं। सीतामऊ के ओसवाल समाज में यह खानदान प्रथम पद पर माना जाता है । सेठ धनराज हीराचन्द कटारिया का परिवार, बंगलोर कैंट इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान बोरांकी देवली (मारवाड़) का है। आप जैन श्वेताम्बर बाइस सम्प्रदाय के अनुवाणी हैं। सबसे पहले सेठ धनराजजी देवली से करीब संवत १९४४ में बंगलोर आये और यहाँ आपने ६ साल तक सर्विस की। इसके पश्चात आपने अपनी एक स्वतन्त्र फर्म स्थापित की । सेठ धनराजजी का जन्म संवत १९३० में हुआ । आप बड़े व्यापार कुशल हैं। आपका धर्म ध्यान में बहुत कक्ष है। आप इस समय करीब चार सालों से गरम जक पान करते, रात्रि में भोजन नहीं करते तथा जोड़े से चौथे व्रत के त्याग का पालन करते हैं। आपके धार्मिक विचार बहुत बढ़े हुए हैं। आपके हीराचन्दजी तथा फूलचन्दजी नामक दो पुत्र I हीराचन्दजी का जन्म संवत १९५० का है। आप बड़े सज्जन हैं तथा इस समय बड़ी होशियारी से दुकान के सब कामों को सम्भाल रहे हैं। आपके भँवरलालजी और फतहचन्दजी नामक दो पुत्र हैं । इनमें से भँवरलालजी, सेठ धनराजजी के छोटे भाई चौथमलजी कटारिया के नाम पर सम्वत १९८४ में दत्तक गये हैं । फूलचन्दजी का जन्म सम्बत १९६० का है । आप भी बड़े होशियार और दुकान के काम को संभालते हैं। इस 'फर्म की ओर से दान धर्म और सार्वजनिक कार्यों की ओर भी खर्च किया जता है । यह फर्म ज्वेलरो रोड पर मातवर मानी जाती है। इस फर्म पर सराफी वैडिंग व केव्हलरी का काम होता है । सेठ बनाजी राजाजी कटारिया, पूना इस परिवार का मूल निवास स्थान सनपुर (सिरोही स्टेट ) में है। इस परिवार के पूर्वज राजाजी कटारिया के जेठाजी, चेलाजी और बनाजी नामक १. पुत्र हुए । इनमें दो ज्येष्ठ भ्राता संवत् १९२१ में पूना आये, और यहाँ नौकरी करके बाद में अपनी दुकान खोली । इनके छोटे भाई बनाजी कटारिया ने अपने व्यापार को और सम्मान को बहुत बढ़ाया । ३६०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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