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________________ कांकरिया मजी के साथ संवत् १८९२ में जोधपुर स्टेट के बरांठिया नामक ग्राम से ब्यावर आये । व्यावर आकर हजारीमलजी ने मोतीचन्द करनचन्द के यहाँ मुनीसात की • तथा जेठमलजी ने हजारीमल जेठमल के नाम से व्यवसाय करना शुरू किया। जैठमलजी का लगभग १९१३ में तथा हजारीमलजी का संवत् १९३४ में शरीरावसान हुआ । करिया हजारीमलजी के पश्चात् उनके पुत्र फतेचन्दजी मै कारवार सम्हाला । आप जेठमलजी के नाम पर दत्तक दिये गये । इनका' अन्तकाळ संवत् १९५९ में हुआ । कांकरिया जेठमलजी का ब्यावर की ओसवाल समाज में अच्छा प्रभाव था । आप लम्बे समय तक म्यावर म्युनिसिपलिटी के कमिश्नर रहे थे। इनके पुत्र गुलाबचन्दजी का जन्म संवत् १९१९ में हुआ । कांकरिया गुलाबचन्दजी बड़े प्रभावशाली और धार्मिक पुरुष थे । १९७१ में हुआ । वर्तमान में उनके पुत्र पचालालजी कांकरिया विद्यमान हैं। पर दत्तक गये हैं।.. कांकरिया पनालालजी का जन्म संवत् १९३८ में हुआ । अच्छी प्रतिष्ठा रखते हैं। आपके पुत्र पूनमचंदजी तथा नेमीचंदजी है। जेठमल के नाम से किराया तथा पुराना लेन-देन वसूली का काम और आवृत का कामकाज होता है । ३५९. आपका शरीरावसान संवत् आप फतेचंदजी के नाम ब्यावर की ओसवाल समाज में आप इस समय आपके यहाँ हजारीमल गणेशदास पचाकाल के नाम से सेठ मोतीलाल अमोलकचन्द कांकरिया, बाघली ( खानदेश ) इस परिवार का मूल निवासस्थान बढ़लू ( जोधपुर स्टेट ) का है। वहाँ से एक शताब्दी पूर्व सेठ भेरूदासजी कांकरिया बाघली आये । इनके रामचन्दजी, विजयराजजी तथा ताराचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए। सेठ रामचन्द्रजी का स्वर्गवास संवत् १९१५ में हुआ । आपके पुत्र रतनचन्दजी ने इस दुकान के व्यापार और सम्मान को विशेष बढ़ाया। इनके पुत्र मोतीलालजी तथा अमोलकचन्दजी विद्यमान है। आपका जन्म क्रमशः संवत् १९५८ तथा ६० में हुआ है। आपके यहाँ साहुकारी लेन-देन का व्यापार होता है। यहाँ की ओसवाल समाज में यह परिवार अच्छी प्रतिष्ठा रखता है। धार्मिक कामों में भी यह परिवार व्यय करता रहता है। इसी तरह विजयराजजी के पौत्र माणकचन्दजी विद्यमान है ।
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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