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________________ कांकरिया किया । आप संवत् १९५८ में स्वर्गवासी हुए। आपके बड़े पुत्र विजयराजजी संवत् १९१६ में तथा छोटे पुत्र पनराजजी संवत् १९७२ में गुजरे । विजयराजजी के पुत्र मेहता जतनराजजी इस समय कस्टम डिपार्टमेंट में सर्विस करते हैं । मेहता शिवराजजी - आप शुरू में जोधपुर स्टेट में हवाला सुपरिन्टेन्डेन्ट, हाकिम और फिर बीकानेर के कस्टम सुपरिन्टेन्डेन्ट रहे । आप दिगम्बर जैन धर्मावलम्बी थे। आपके पास प्राकृत और मागभी भाषाओं का बहुत अच्छा संग्रह था जो मापने दिगम्बर जैन मन्दिर को भेंट किया था । आप संवत् १९७२ में स्वर्गवासी हुए। आपके पुत्र दुल्हेराजजी का संवत् १९७४ में स्वर्गवास होगया था । मेहता उम्मेदराजजी छोटी उमर में ही स्वर्गवासी हुए 1 आपका स्वर्गवास भी कुछ समय तक मेहता छगनराजजी - आप शुरू में महामन्दिर के नाथजी के कामदार तथा फिर शेरगढ़ आदि कई स्थानों के हाकिम रहे। संवत् १९५८ में आपका देहान्त हुआ | आपके गणेशराजजी और रंगराज जी नामक दो पुत्र हुए। मेहता गणेशराजजी बड़े मिलनसार और समन पुरुष थे । संवत् १९८४ में हुआ । मेहता रंगराजजी का जन्म संवत् १९३९ में हुआ । आप नाथों के कामदार रहे । आपका संवत् १९८८ में स्वर्गवास होगया है । मेहता राजजी, जसवन्तराजजी और हनुमन्तराजजी नामक तीन पुत्र हैं, मेहता रंगराजजी के अमृतराजजी नामक एक पुत्र है । इन चारों भाइयों में असाधारण प्रेम है। जोधपुर की ओसवाल समाज में यह सामदान प्रतिष्ठित और अग्रगण्य है । गणेशसब्जी के हुकुम - मेहता हुकुमराजजी - आपका जन्म संवत् १९५२ में हुआ। आप इस समय जोधपुर राज्य में एक्साइज इन्सपेक्टर हैं। इसके पूर्व आप सेन्सस डिपार्टमेंट में असिस्टेन्ट सुपरिन्टेन्डेन्ट भी रहे । आपका स्वभाव बड़ा मिलनसार और सादा है। मेहता जसवन्तराजजी - आपका जन्म संवत् १९५५ में हुआ । आप बड़े प्रतिभाशाली, कार्य कुशल तथा गम्भीर व्यक्ति हैं। आपने अपने जीवन में बहुत उन्नति की । सन् १९१९ में आपने B. A. तथा सन् १९२६ में आपने I. L. B. की परीक्षाएँ पास कीं । आप सन् १९२० में मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्त हुए और वहाँ पर बहुत ही शीघ्र अपनी बोम्यता और प्रतिभा का परिचय दिया जिसे देखकर सन् १९२४ में तत्कालीन चीफ जज राव बहादुर लक्ष्मणदासजी बैरिस्टर एट कॉ ने आप के विषय में लिखा, "It is a pity that a 'Hakim' like the present one should lose his fragrance in the desert air ! अर्थात् इनके गुण जितने उच्च हैं उनका यथावत् उपयोग नहीं हो रहा है। इसके ३५५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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