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________________ पोसवाल जाति का इतिहास देखकर जोधपुर महाराजा आपसे बहुत खुश हुए। सारे जोधपुर के जन समाज में आपके उच्च चरित्र और कर्तव्य परावणता की भी अच्छी छाप है। आप स्थानीय म्युनिसिपेलिटो के नामिनेटेड प्रेसिडेण्ट हैं। इतने महत्व पूर्ण काम करते रहने पर भी आपको लेश मात्र अभिमान नहीं है। आपके पुत्र गोपालमलजी वी. ए. में तथा किशनमलजी मेट्रिक में पढ़ रहे है। मेहता रंगरूपमलजी बागरेचा, जोधपुर . ऊपर मेहता बख्तावरमलजी बागरेचा के परिचय में बतलाया जा चुका है कि मेहता शंभूमलजी के पुत्र जवानमलजी तथा दानमलजी हुए । इनमें जवानमलजी के मेहता सावंतमलजी, छगनमलजी, जवरमलजी तथा अचलमलजी नामक ४ पुत्र हुए और दानमलजी के पुत्र मेहता वख्तारमलजी हैं। मेहता जवाहरमलजी-अपका जन्म संवत् १९२३ में हुआ।आप नागोर, सीवाणा तथा पाली में स्टेट के खजांची रहे । सांसारिक कार्यों से विरक्ति होजाने के कारण आपने संवत् १९७० में सर्विस छोड्दी और इस समय जोधपुर शहर के समीप अपने जवराश्रम नामक बंगले में निवास कर धार्मिक जीवन विताते हैं।ज्योतिष की ओर आपकी अच्छी रुचि है। कविता करने का भी आपको अच्छा शोक है । आपके द्वारा रचित पों का संग्रह जवर भजनमाला के रूप में प्रकाशित हुआ है। आपके पुत्र मेहता रंगरूपमलजी तथा जगरूपमलजी हुए। ... मेहता रंगरूपमलजी-आपका जन्म संवत् १९४३ में हुआ । आपने कानूनी लाइन में प्रवेश कर इस व्यवसाय में अच्छी योग्यता तथा सम्पत्ति उपार्जित की है। आपने सन् १९१५ में एक लॉ क्लास खोकी । इस क्लास में शिक्षा प्राप्त कर इस समय लगभग ६०-७० व्यक्ति वकालात करते हैं। इस समम आप जोधपुर के फर्स्ट क्लास कील हैं। आप सुधार के कार्मों में बहुत प्रेम के साथ भाग लेते हैं । सन् १९२६ मैं आप जोधपुर हिन्दू सभा के प्रेसिडेन्ट रहे थे। इसके अलावा गोडवाड़ हिन्दू सभा के भी आप सभापति निर्वाचित किये गये थे। समय २ पर आप अपने सुधार विषयक विचार, पुस्तिकाएं तथा पेम्प्लेट में प्रकाशित करते रहते हैं। आपके परिश्रम से जोधपुर में एक ला लायब्रेरी स्थापित हुई है। इस में आरंभ में आपने । हज़ार रुपया प्रदान किया है। आपके पुत्र राणामलजी, महावीरमलजी तथा मरुधरमलजी है। मेहता मैरराजजी बागरेचा, जोधपुर इस परिवार के पूर्वज मेहता मलूकचन्दजी खेजड़ले के दीवान थे। संवत् १८५९ की भादवा वदी ३को कई सरदारों ने इनका चूक किया। इनके नाम पर मेहता हरवंचन्दजी दत्तक जाये। ये भी खेजड़ला
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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