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नाहर बाबू उदयसिंहजी-आपका जन्म सं० १९६० में हुआ। भाप अंग्रेजी, बंगला आदि की शिक्षा इंटरमीनियट तक प्राप्त कर इस समय कृषि-विज्ञान सम्बन्धी कार्य में तत्पर है।
बाबू महाराजसिंहजी-आपका जन्म सं० १९७० में हुआ। भाप कालेज में आई० ए० क्लास में पढ़ रहे हैं। आपके और छोटे भाई स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
बाबू कुमरसिंहजी-आपका जन्म सं० १९४० में हुआ था। मैट्रिक परीक्षा में मुर्शिदाबाद जिले में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने के कारण आपको छात्रवृत्ति (स्कॉलरशिप) के अतिरिक्त एक सोने का और दो चाँदी के पदक पुरस्कार में मिले थे। पश्चात् आप बरहमपुर कॉलेज से एफ० ए० की परीक्षा पास कर 'ला' में पढ़ ही रहे थे कि अचानक आपका सं० १९७१ में स्वर्गवास हो गया । कलकत्ते में माहरों का निवास स्थान इण्डियन मिरर स्ट्रीट नं०४६ में आपकी स्मृति में "कुमरसिंह हाल" नामक एक विशाल भवन बनवाया गया है। पह भी नाहर वंशजों के एक गौरव की वस्तु है । स्थानीय सार्वजनिक कार्यों में इसका बारबार उपयोग होता है।
लाला गोकुलचन्दजी नाहर का खानदान, देहली इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवासस्थान लाहौर था। यहाँ से इस खानदान के पूर्व पुरुष लाला नीधूमलनी दिली आये। तभी से यह खानदान देहली में ही निवास कर रहा है तथा आज भी लाहोरी के नाम से प्रसिद्ध है। लाला नीधूमलजी के सीधूमलजी नामक एक पुत्र हुए। आपके पुत्र जीतमलजी के बुधसिंहजी तथा चुनीलालजी नामक दो पुत्र हुए। लाला बुधसिंहजी के शादीरामजी नामक एक पुत्र हुए।
लाला शादीरामजी का संवत् १४४५ में जन्म हुआ। आपने छोटी उमर से ही अपने व्यापार में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया था। आपने गोटे किनारी का व्यापार शुरू किया। इस व्यापार में भापको काफी सफलता मिली। आपका सं० १९३८ में स्वर्गवास हुआ। आपके लाला भेरूदासजी तथा लाला गोकुलचन्दजी नामक दो पुत्र हुए । लाला भेरूदासजी का जन्म संवत् १९१७ में हुभा ।
लाला गोकुलचन्दजी-आपका जन्म संवत् १९२४ में हुआ। आप बड़े मशहूर तथा पंजाब के स्थानकवासी समाज में बड़े प्रतिष्ठित सजन हैं। आपने संवत् १९१६ से अपनी फर्म पर जवाहरात का व्यापार शुरू किया। इस व्यापार में आपको काफी सफलता प्राप्त हुई। इस समय आपकी फर्म पर बैकिंग तथा किराये का व्यवसाय होता है।
आपकी धार्मिक भावना बढ़ी चढ़ी है। आपने कई धार्मिक कार्यों में सहायताएँ प्रदान