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सुराणा संवत् १९६० में हुआ था। आप बहुत होनहार और सुशील थे। आपकी धार्मिक विषय में अच्छी रुचि थी। दुर्भाग्य वश विवाह होने के ठीक १५ दिन बाद संवत् १९०४ में आपका स्वर्गवास हो गया।
सेठ माणकचन्दजी-आप सेठ रायचन्दजी के वर्तमान पुत्रों में द्वितीय हैं। भापका जन्म सम्बत् १९५६ में हुआ था। आप मोटर ड्राइविंग में निपुण हैं। आप मिलनसार और उदार भी हैं। आपके एक पुत्र और दो कन्यायें हैं।
सेठ ताराचन्दजी-आप सेठ रायचन्दजी के तृतीय पुत्र हैं। आपका जन्म संवत् १९६९ में हुआ था। आप शिक्षित और होनहार युवक हैं। अंग्रेजी में आप मैट्रिक पास हैं। आजकल म्यापारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं। आप अच्छे लेखक है। मासिक पत्रिकाओं में आपके लेख अक्सर निकलते रहते हैं। भाप से एक छोटे भाई और हैं जिनका नाम श्री भीमचन्दजी है। ताराचन्दजी के पुत्र का नाम कुँवर शेषकरणजी है।
कुंवर जीतमलजी-भाप श्रीचंदजी के इकलौते पुत्र हैं। आपका जम्म संवत् १९६० में हुमा। बाप बहुत इष्ट-पुष्ट नवयुवक हैं।
कुंवर लूणकरणजी-आप सेठ हुकमचंजी के पुत्र हैं। आपका जन्म संवत् १९८० में हुआ। आप बहुत सुशील और होनहार है अभी आप अंग्रेजी और हिन्दी की शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
इस परिवार के लोगों पर ब्रिटिश गवर्नमेंट और बीकानेर राज्य की सदैव कृपा रही है और समय-समय पर खास रुक्के और सारटिफिकेट मिले हैं।
शाह रतनसिंहजी सुराणा का खानदान, उदयपुर यह प्राचीन गौरवशाली परिवार बहुत वर्षों से उठ्यपुर में ही निवास करता है। इस खान दान के कई सजनों ने समय र पर कई महत्व के काम किये जिनका उल्लेख हम यथा स्थान करेंगे । इस परिवार में पहले पहल सुराणा ब्रजलालजी बड़े नामांकित व्यक्ति हुए।
__सुराणा ब्रजलालजी-आप बड़े वीर, कार्यकुशल तथा साहसी व्यक्ति थे। शूरता और योग्य म्यवस्थापिका शक्ति का आप में बड़ा मधुर सम्मेलन हुआ था। आपने उदयपुर राज्य में कई ऊँचे २ पदों पर काम किया तथा कई ठिकानों की योग्य व्यवस्था की। एक समय नाप एक बड़ी सेना के साथ महाराणाजी की ओर से धांगड़मऊ के बागी रजपूत जागीरदार को गिरफ्तार करने के हेतु से भेजे गये थे। यहाँ पर कुछ देर तक घमासान लड़ाई होती रही जिसमें आप विजयी हुए और उक्त जागीरदार उमराव सिंहजी युद्ध में मारे गये। उस प्रांत की आपने बड़ी बुद्धिमानी से सुन्वक्स्था भी की थी। आपकी