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लोढ़ा
हुआ । सम्वत् १९४६ में आप मैट्रिक पास हुए। बांद आपने ग्रास फार्म महकमा तथा कोठार में नौकरी की । सम्वत् १९५३ में आप स्टेट जवाहरखाने के मेम्बर हुए। सम्वत् १९५८ में आप नौकरी से रिटायर हुए । सन् १९११ में आप जोधपुर राज्य की ओर से किंग जॉर्ज प्रेजेंट शो में प्रतिनिधि होकर कलकत्ता गये थे । आपने बम्बई में व्यापार भी अच्छी सफलता के साथ किया था । आप जोधपुर के ओसवाल समाज के विशेष व्यक्तियों में से हैं । आप बड़े मिलनसार और योग्य सज्जन हैं। आपके भोपालचन्दजी और गणेशचन्दजी नामक दो पुत्र हैं। लोढ़ा भोपालचन्दजी का जन्म सम्वत् १९५५ में हुआ । आपने जोधपुर से एफ० ए० तथा बम्बई से बी कॉम की परीक्षा पास की। इसके बाद आप रेल्वे ऑडिट ऑफिस में इन्स्पेक्टर ऑफ अकाउण्टस् मुकर्रर हुए। और इस पद पर आप इस समय काम करते हैं । लोढ़ा भोपालचन्दजी बड़े योग्य और प्रतिभासम्पश्च सज्जन हैं, जोधपुर सरदार हाईस्कूल के बनवाने मैं आपने दिन-रात परिश्रम कर देख रेख रक्खी और बड़ी ही किफायतशारी से एक भव्य और सुन्दर इमारत बनवाने में शुम प्रयास किया। समाजहित के काव्यों में आप दिलचस्पी रखते हैं। आपके छोटे भाई गणेशचन्दजी विट ऑफिस में मौकरी करते हैं ।
लोढ़ा सावंतमलजी का खानदान, जोधपुर
इस खानदान के पूर्वजों का मूल निवास स्थान मेड़ता है। वहाँ से पहाड़ मलजी के पुत्र जसवंतमलजी जोधपुर आये, तब से यह परिवार जोधपुर में निवास करता है। जसवंतमलजी का स्वर्गवास संवत् १९४२ में हुआ । इनके कुन्दनमलजी, जीवनमलजी और पारसमलजी नामक तीन पुत्र हुए । कुन्दनमलजी जोधपुर रियासत की ओर से एजण्ट के यहाँ वकील थे । संवत् १९३६ में वकालत छोड़कर आय बोहरागत का काम करने लगे, तथा संवत् १९६५ में स्वर्गवासी हुए । जीवनमलजी भी कुन्दनमलजी के बाद एजण्ट के यहाँ वकील रहे । इनके छोटे भ्राता पारसमलजी फौजदारी कोर्ट में काम करते रहे । लोढ़ा कुन्दनमलजी के सावंतमलजी, चंदनमलजी और बुधमलजी नामक तीन पुत्र विद्यमान हैं । सावंतमलजी सन् १९०५ से जोधपुर स्टेट के पुलिस विभाग में सर्विस करते हैं और इस समय बाड़मेर में सर्कल इन्स्पेक्टर पोलिस हैं। आपके छोटे भ्राता चंदनमलजी कोर्ट ऑफ वार्डस के मैनेजर और बुधमलजी शेशन फोर्ट में पोतदार हैं। इसी तरह जीवनमलजी के पौत्र हरखमलजी इनवेटिंग ऑफिस में सर्विस करते हैं और पारसमलजी के पुत्र हिम्मतमलजी, डीडवाणा में वकालात करते हैं।
शाह लक्ष्मीमल प्रसन्नमल लोढ़ा, नागौर
यह परिवार मूल निवासी नागौर का ही है। इस परिवार में उजमलजी बड़े नामांकित तथा बहादुर प्रकृति के पुरुष हुए। आपकी संताने उजमलोत छोढ़ा कहलाई । आपके नामका छजमहल आज
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