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________________ पोसवाल जांति का इतिहास चांदी, तांबा, पीतल, जस्ता, चीनी, कपड़े आदि का व्यापार सीधा बिलायत से होता है। रामकृष्योपुर ( कलकत्ता ) में आपका चावल का बड़ा भारी व्यापार होताहै । कई स्थानों पर पह फर्म स्टेट कर है। . लोढ़ा हणुतचंदजी का परिवार, जोधपुर रावरजा माधोसिंहजी के पूर्वज लोदा सुलतानमलजी से इस खानदान की शाखा भलग हुई। पुलतानमलजी की कुछ पुश्तों के बाद लोढ़ा रामचन्दजी हुए। रामचन्दजी लोढ़ा-आप फलौदी के हाकम के पद पर नियुक्त किये गये थे। पर किसी कारणवश आप राज्य द्वारा कैद कर लिए गये। कैद से मुक्त होने पर आपने राज्य की नौकरी न करने का निश्चय किया। इसके बाद आप अजमेर की ओर आ गये । और अपनी कार्य कुशलता से अच्छा द्रव्य उपाजन कर लिया। आपकी पीसांगन की हवेलियाँ अब भी लोगों की हवेलियों के नाम से मशहूर हैं। कोदा रामचन्दजी के साहिबचन्दजी, शिवचन्दजी और शोभाचन्दजी नामक ती न पुत्र हुए। इनमें से प्रत्येक को अपने पिताजी की सम्पत्ति से लगभग तीन-तीन लाख रुपये मिले थे। पर इन्होंने इस द्रव्य को वर्षाद कर डाला और अपने पुत्रों के लिये कुछ नहीं छोड़ा । इससे लोदा शोभाचन्दजी के पुत्र रूपचन्दजी की भार्थिक दृष्टि से बड़ी शोचनीय स्थिति हो गई। ___ रूपचदजी लोढ़ा-आप बड़े साहसी थे । आप पीसांगन से अजमेर चले आये और सिपाहीगिरी की नौकरी करली। इसी समय आपने फारसी भाषा का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। वहाँ से बाप जोधपुर आये, और ३०) मासिक पर ब्रिटिश रेजिमेण्ट में वकील हो गये। बढ़ते-बढ़ते आप १५०) मासिक तक पहुंच गये। इसी समय मारवाद के गोड़वाड़ प्रांत में मीणों ने विद्रोह मचा दिया। इस विद्रोह का दमन करने के लिये जोधपुर राज्य की ओर से रूपचन्दजी भेजे गये। इन्होंने इस कार्य में बड़ी सफलता प्राप्त की। इसके बाद आप नागोर के कोतवाल तथा सिवाने के हाकिम बनाये गये। सिवाने से आप सांचोर के हाकिम होकर गये । यहाँ से अवसर ग्रहण कर आप जोधपुर रहने लगे । जहाँ भाजीवन आपको १०) मासिक पेन्शन मिलती रही। सम्बत् १९५५ में आपका स्वर्गवास हुआ। बभूतचन्दजी लोढ़ा-रूपचन्दजी के बड़े पुत्र बभूतचन्दजी सांचोर, शेरगढ़, फलोदी और साम्भर भादि अनेक स्थानों पर हाकिम रहे। फलोदी में आपने बड़ी बहादुरी से डाकुओं का उपद्रव शांत किया और उनके नेता को गिरफ्तार किया, इससे राज्य की ओर से भापको पुरस्कार मिला। ईस्वी सन् १९२० में भापका स्वर्गवास हुभा। आपके पुत्र लोदा किशनचन्दजी सेशन कोर्ट में सरिश्तेदार हैं। हणवतचंदजी लोढ़ा-रूपचन्दजी के दूसरे पुत्र लोदा हणवन्तचन्दजी का जन्म सन्वत् १९९५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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