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ओसवाल जाति का इतिहास
मूलचन्दजी कारखानेदार, मनासा के अमीन आदि २ कार्यों पर नियुक्त किये गये। आप दोनों बन्धुओं ने प्रयत्न करके अपने पूर्वजों के जप्त किये हुए जागीरी के गावों को पुनः प्राप्त करने के लिये प्रयत किया । इसके फलस्वरूप उन दोनों गाँवों के बदले में मौजा वासन्दा तथा कुछ जमीन बगीचे के लिये आप लोगों को इनायत की गई । इस प्रकार आप दोनों बन्धु होलकर सरकार की सेवा करते हुए स्वर्गवासी हुए। इनमें से कोठारी मूलचन्दजी के हीराचन्दनी, दीपचन्दजी और देवीचन्दजी नामक तीन पुत्र विद्यमान हैं।
कोठारी हीराचन्दजी बड़े मुसुरद्दी, कार्य कुशल तथा योग्य सज्जन हैं। मापने अपनी योग्यता एवं कार्य कुशलता से एक साधारण पद से एक बहुत बड़े सम्माननीय पद को प्राप्त किया है। आपने प्रारम्भ में इन्दौर के मुनाफा कारखाना, फड़नीसी दफ्तर, पोलिस विभाग तथा सायर के महकमें में काम कर अपने आपको वृद्धि की ओर अग्रसर किया। आप इसके पश्चात् कोठी कारखानदार और फिर मनासा के अमीन बना कर भेजे गये। उस समय मनामा परगने के आस पास बड़ी दुर्व्यवस्था और गड़बड़ी हो रही थी। इसे आपने मिटा कर वहाँ ति स्थापित की तथा बढ़ी योग्यता और बुद्धिमानी से कई उजदे हुए गाँवों को बसाया। आपकी इस सुम्यवस्था तथा नवीन बसाहत से राज्य के तत्कालीन उप पदाधिकारी बड़े संतुष्ट रहे और उन्होंने समय समय पर आपके कार्यों की खुब प्रशंसा की। आपके इन कायों के उपलक्ष्य में आपको रामपुरा के नायब सूबा और फिर महत्पुर का सूबा बनाया। तदनन्तर रामपुरा और भानपुरा इन दोनों परगनों को सम्मिलित कर आप उसके सूबा बनाये गये । इसी समय इन्दौर नरेश महाराजा तुकोजीराव होलकर ने इस जिले का दौरा करते समय आपके कार्यों से बड़ी प्रसबता प्रगट की और वहाँ के जागीरदारों और सरदारों से भरे दरबार में आपको १.०१) नगद तथा फर्स्ट क्लास सिरोपाव देकर सम्मानित किया।
तदनंतर क्रमाः आप रेव्हेन्यू , कस्टम कमिश्नर, एक्साइज मिनिस्टर, रेव्हेन्यू मिनिस्टर, नायव दीवान खासगी मावि २ च पदों पर नियुक्त किये गये और फिर कौन्सिल के मेम्बर भी बनाये गये । इसके पश्चात् माप दीवान खासगी मुकर्रर किये गये तथा यहाँ से पेंशन प्राप्त होने पर भाप फिर से कौंसिल के मेम्बर बनाये गये । कहने का तात्पर्य यह है कि आपने इस राज्य में बड़े २ उत्तरदायित्वपूर्ण पदों पर रहकर बड़ी योग्यता से व्यवस्था की। जिस समय महाराजा होलकर विलायत गये हुए थे उस समय आप कौंसिल के सभापति भी बनाये गये थे।
आपका इन्दौर राज्य में बहुत सम्मान है। आपको सन् १९१७ में ब्रिटिश गवर्नमेंट ने “राव बहादुर" के सम्माननीय खिताब से विभूषित किया। इसी प्रकार होलकर सरकार ने आपको "मुन्तजिमए-खास" की पदवी तथा हुजूर प्रिवी कौंसिल के कौंसिलर बना कर सम्मानित किया। इतना हो नहीं