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________________ श्रीसवाल जाति का इतिहास आपको एक पालकी और लवाजमा बक्शा गया, जिसके खरच के लिये रामपुरा जिले की आमदनी से ७२० की वार्षिक नेमणूक दी गई । उसके पश्चात् १५००) वार्षिक की एक और नेमणूक आपको प्रदान की गई । आपके पास रामपुरा जिले के कई गाँव हजारे में थे और उनकी आमदनी से ये सिपाहियों का एक मजबूत दल रखते थे, जो कि उस कठिन जमाने में शांति बनाये रखने के लिये आवश्यक था । सन् १८३५ में आपका स्वर्गवास हुआ । कोठारी शिवचन्दजी कोठारी भवानीरामजी के पुत्र कोठारी शिवचन्दजी का जन्म संवत् १८६५ 'हुआ । आपने अपने पिताजी के नाम को केवल कायम ही न रक्खा, बल्कि अपनी बहादुरी, चतुराई आपने रामपुरा भानपुरा जिले की प्रजा में अमन १८४३ तक इस जिले का इन्तजाम शिवचन्दजी के और प्रबन्ध कुशलता से बहुत अधिक चमका दिया। चैन और शांति स्थापित की। ईस्वी सन् १८३५ से पास रहा। इस समय में उस जिले की आमदनी में भी बहुत तरक्की हुई खिदमत की बहुत कदर की और इसके उपलक्ष में तत्कालीन रेजिडेंट सर रावर्ट पर आपको मोजा सगोरिया और खजूरी रुँडा पुश्तेनी इश्तमुरारी पट्टे पर वख्शा । सरकार ने आपकी इस हेमिल्टन की शिफारिश ईसवी सन् १८४६ में रामपुरा डिस्ट्रिक्ट इंतजामी सुभीते के लिहाज से २ हिस्सों में बांट दिया गया। कोठारी शिवचन्दजी को उत्तरीय हिस्से का अर्थात् भानपुरा डिस्ट्रिक्ट का काम सौंपा गया और वे जीवन पर्यंत इसी जिले के इंतजाम में रहे। भानपुरे की प्रजा उन्हें अत्यन्त प्रेमकी दृष्टि से देखती थी। आज भी भानपुरे जिले के घर घर २ में उनकी गुण गाथाएँ बड़े आदर और प्रेम से गायी जाती हैं। ऐसा मालूम होता है कि सन् १८४८ में आप इन्दौर रेसिडेंसी में दरबार की तरफ से वकील मुकर्रर किये गये । कहना न होगा कि इस नाजुक और जिम्मेदारी पूर्ण पद पर आपने बहुत संतोषजनक रूप से काम किया और अच्छी कीर्ति सम्पादन की । आपके कामों से सर हेमिल्टन बड़े प्रसन्न रहते थे । इसी समय में आपने एक प्रख्यात डाकू फकीर महम्मद मकरानी को गिरफ्तार किया, जिसके उपलक्ष में बम्बई गवर्नमेन्ट ने आपको एक बहुमूल्य खिल्लत बहझी । इस विषय में सर हेमिल्टन मे ता० १६ मई सन् १८५९ को एक धन्यवाद पत्र लिखा । इसके सिवाय और भी कई अंगरेज अफसरों से आप को अच्छे २ सर्टिफिकेट मिले हैं। * कुछ समय के पश्चात् गदर के इतिहास प्रसिद्ध दिन आये । उस समय में भानपुरा डिस्ट्रिक्ट, अराजक एवं असंतोषी लोगों का खास निवास स्थान था । बागियों को फोज से सारा जिला बड़े संकट में आ गया था। इस समय कोठारी शिवचन्दजी ने जिस वुद्धिमानी, चतुराई और राजनीतिज्ञता से वहाँ का इन्तजाम किया उससे इनकी योग्यता और प्रबन्ध कुशलता का पता बहुत आसानी से चल जाता २२०
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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