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बापना
१९१९ की सावण वदी १ तक उपरोक्त कार्य्यं सम्हालते रहे । संवत् आपके रामलालजी, मुकुन्दलालजी और लक्ष्मणजी नामक ३ पुत्र हुए । मेहता रामलालजी चापना - आप जोधपुर महाराजा मानसिंहजी और महाराजा तखतसिंहजी के
मेहता कालूरामजी बापना संवत् १९२९ में आप स्वर्गवासी हुए।
समय में जालोर, सांचोर आदि परगनों के हाकिम रहे।
आप भी मुत्सद्दी समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति थे । मेहता मुकुन्दलालजी बापना - आप पारसी के विद्वान् और कारिंदा पुरुष थे । आप महाराजा किशोरसिंहजी के नायब पद पर कार्य्यं करते थे । महाराजा प्रतापसिंहजी आप पर अच्छा स्नेह रखते थे । मारवाद के सरहद्दी झगड़ों को निपटाने में कर्नल बॉबली साहब के साथ आपने सहयोग दिया था । मेहता लक्ष्मणजी बापना — आपभी अपने समय में जोधपुर के प्रतिष्ठित पुरुष थे । जब संवत् १९२९ में सिंघवी देवराजजी के नाम का फौज बख्शी का पद खालसे हो गया । उक्त पद की देख रेख करते थे। संवत् १९४० में आपका स्वर्गबास हुआ ।
उस समय आप #
राय साहेब कापनी कृष्णलालजी बी० ए० -आप मेहता लक्ष्मणलालजी बापना के पुत्र हैं । आपका जन्म संवत् १९३३ में हुआ । आप जोधपुर राज्य में हाकिम, राज एडवोकेट, और इन्सपेक्टर जनरल पोलीस आदि कई सम्माननीय पदों पर काम कर चुके हैं। आपके सार्वजनिक कामों की एक लम्बी सूची है । सन् १९१४ में जोधपुर से "ओसवाल” नामक जो मासिक पत्र निकलता था, उसके उत्पादक भाप ही थे। जोधपुर की मारवाड़ हितकारिणी सभा के स्थापन में भी आपने प्रधान हाथ बटवाया था । राजपूताने की प्रजा परिषद् और अजमेर के आदर्श नगर के स्थापन में भी आपने प्रधान सहयोग दिया है। आपही के परिश्रम और उद्योग से अजमेर में ओसवाल सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन हुआ था । सामाजिक विषय पर आपने कई पुस्तिकाएँ और लेख लिखे हैं । आप वेदान्त मत के अनु पायी और स्वतन्त्र विचारों के पुरुष हैं । अभी आप अजमेर में ही निवास करते हैं । आपके खून में नवयुवकों जैसा उत्साह और जोश है । आपका सम्पर्क कई अंग्रेज आफिसरों से रहा है और समय २ पर उनकी ओर से आपको कई प्रशंसा पत्र प्राप्त हुए हैं । औद्योगिक विषय में आपकी बड़ी अभिरुचि है 1 आपकी कास्टिक सोड़ा बनाने की स्कीम को गवर्नमेण्ट ने पसन्द किया है। इसी तरह बेर के झाड़ पर लाख लगाने की आपकी आय. जना को भी गवर्नमेण्ट कॉलेज पूसा ने स्वीकार किया है । आपने जोधपुर के भोसवाल विधवा विवाह सहायक फण्ड को ३ हजार रुपये प्रदान किये । आपके जीवन का प्रधान लक्ष नवीन विचारों का प्रकाश करना और नवीन संस्कारों की लहर पैदा करना है । सन १९१७ में गवर्नमेण्ट ने
जोधपुर के रेकार्ड में इस पद पर इनके बड़े भ्राता मेहता रामलालजी ने काम किया था, आता है। लेखक :
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ऐसा उम्लेख पाया