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वेद मेहता
वेद मेहता रामराजजी, मेड़ता
वेद मेहता रामराजजी के पूर्वज मेहता दीपचन्दजी महाराजा बखतसिंहजी की हाजिरी में नागौर में रहते थे । जब महाराजा बखतसिंहजी और उनके भतीजे रामसिंहजी के बीच सोजत के पास लूंडावास नामक स्थान में झगड़ा हुआ, उस लड़ाई में महाराजा वस्त्रतसिंहजा की ओर से लड़ते हुए मेहता दीपचन्दजी काम आये थे । अतएव उनके पुत्र भागचन्दजी को सम्वत् १८०८ में मेड़ते परगने का चोठिवास नामक ५०० ) की रेख का गाँव जागीरी में मिला ।
सम्बत् १८११ में महाराजा विजयसिंहजी का मेड़ते के पास युद्ध हुआ, उसमें मेहता भागचंदजी . दरबार की ओर से लड़ते हुए काम आये । जब सम्बत् १८४७ में मराठों की फौज ने मारवाद पर हमला किया, उस समय भागचन्दजी के पौत्र सवाईसिंहजी जोधपुर दरबार की ओर से युद्ध में हाजिर थे। इसी तरह इस परिवार के व्यक्ति महाराजा मानसिंहजी की भी सेवाएं करते रहे ।
मेहता सवाईसिंहजी के बाद क्रमशः हिन्दूसिंहजी, शिवराजजी तथा सुखराजजी हुए। सुखराजजी के धनराजजी, अनराजजी और दीपराजजी नामक ३ पुत्र थे। इनमें दीपराजंजी के पुत्र रामराजजी मौजूद हैं। आप धनराजजी के नाम पर दसक आये हैं। आपके पुत्र मोहनराजजी तथा सोहनराजजी हैं ।
वेद मेहता हेमराजजी चौधरी, मेड़ता
इस परिवार के पूर्वज मेहता साईंदासजी के पुत्र किशनदासजी और मोहकमदासजी को बादशाह आलमगीर के जमाने में कई परवाने मिले। उनसे मालूम होता है कि इनको शाही जमाने से चौधरी का पद मिला । ओसवाल समाज में घड़े बन्दी होने से बहुत से लोग जब मोहकमसिंहजी के पुत्र विजयचन्दजी को चौधरी नहीं मानने लगे, तब सम्बत् १८३६ की पौष सुदी ५ को जोधपुर दरबार मे एक परवाना देकर इन्हें चौधरायत का पुनः अधिकार दिया। चौधरी विजयचन्दजी के बाद क्रमशः मूलचन्दजी, रूपचन्दजी, नगराजजी और धनराजजी हुए। ये सब सज्जन व्यापार के साथ चौधरायत का कार्य भी करते रहे । धनराजजी का स्वर्गवास सम्वत् १९४७ में हुआ । इस समय इनके पुत्र हेमराजजी चौधरी विद्यमान हैं। आप भी मेड़वा की ओसवाल न्यात के चौधरी हैं ।
सेठ गुलाब चन्द मुलतानचन्द वेद मेहता, चांदोरी
इस परिवार का मूल निवासस्थान पी (पुष्कर के समीप ) है । आप श्वेताम्बर जैन समाज के स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले समान हैं । इस परिवार में सेठ भींवराजजी हुए। आप ८० साक
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