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वेद मेहता सेठ माणिकचंद गेंदमल वेद, मद्रास इस परिवार का मूल निवास स्थान फलौदी मारवाद का है। आप श्री श्वेताम्बर जैन सम्प्र. बाय के मंदिर माम्नाय को मानने वाले सज्जन हैं । इस परिवार में सेठ मोतीलालजी हुए । आपके मेघराजजी नामक एक पुत्र हुए । आप ही ने सबसे पहले करीब साठ वर्ष पूर्व मद्रास आकर पुरस्वाकम् में बैंकिंग की फर्म स्थापित की । आपके मणकचंदजी, शिवरामजी तथा जोगराजबी नामक तीन पुत्र हुए।
__सेठ माणकचंदजी बड़े ही व्यापार-कुशल और समझदार सज्जन थे। आपके द्वारा फर्म के व्यापार में बड़ी सरकी हुई । आपका संवत् १९८० में स्वर्गवास होगया। आपने अपने भाई के पुत्रों के साथ भी समानता का व्यवहार किया। मापके धनरामजी नामक एक पुत्र हुए। आपका सं० १९७० में जन्म । हुना। आप वर्तमान में बैंकिंग का स्वतन्त्र व्यापार करते हैं। ... सेठ शिवराजजी भी बड़े व्यापार में होशियार थे। मगर भापका स्वर्गवास संवत् १९६२ में कम उम्र में ही हो गया । आपके गेंदमलजी नामक एक पुत्र हुए। भापका सं० १९५७ में जन्म हुआ आप बड़े ही साहसी और व्यापारी व्यक्ति हैं। व्यापार में हजारों लाखों की जोखिम में पड़जाना आपका रोजाना का काम है। इस समय आप सोने और गिधी का अलग व्यापार करते हैं। मद्रास में सोने के व्यापारियों में आपका प्रथम नम्बर है।
सेठ जोगराजजी छोटी उम्र में ही स्वर्गवासी हुए। आपके गुलाबचन्दजी मामक पुत्र हुए। भापका जन्म संवत् १९६५ में हुआ। आप भी स्वतन्त्ररूप से बैंकिंग का व्यापार करते हैं। आपके देवीचन्दजी नामक एक पुत्र है।
इस खानदान को दान-धर्म और सार्वजनिक कार्यों की तरफ रुचि रही है। सम्बत् १९८५ में . इस कुटुम्ब के सजनों ने ओशियाँ के मन्दिर पर सोने का कलश चढ़ाया तथा मद्रास की वादावादी की छत्री के आसपास एक बराण्डा और हॉल तय्यार करवाया। इस कार्य में मापके करीव ५०००) लगे होंगे। फलौदी में भापने अपनी कुलदेवी के मन्दिर का जीर्णोद्धार भी करवाया । वहाँ भाप लोगों की ओर से एक छत्री भी बनवाई गई है।
- सेठ रावतमल सूरजमल वेद, मेहता मद्रास
इस परिवार का मूल निवास स्थान नागौर (मारवाड़) का है। आप लोग श्री जैन श्वेताम्बर स्थानकवासी आम्नाय को मानने वाले सजन हैं। इस परिवार में सेठ तुलसीरामजी हुए। आपके रावत