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सवाल जाति का इतिहास
पुरमें चन्दनमल मोतीलाल मुथा के नाम से कपड़े का व्यापार करती है। के नाम से इस फर्म पर बैंकिंग एवं मनीलॅडिक व्यापार होता है। पुत्र संकारमलजी की उम्र ५ साल की है।
सहायताएं देते हैं । आपकी फर्म बम्बई में बालमुकुन्द चन्दनमक मूथा के नाम से आदत का और सोकासतारा में मोखमदास हजारमक रायसाहेब सेठ मोतीलालजी के
भण्डारी रूपराजजी, (निम्बावत) जालोर
भण्डारी नराजी के छठे पुत्र निम्बाजी हुए। इनके वंश में आगे चल कर नथमलजी हुए । इनके पुत्र ईसरदासजी और करमसीजी संवत् १७७४ में जालोर आये । भण्डारी करमसीजी के पुत्र सरदारमलजी ( सर्वांणजी) और जोगीदासजी हुए । भण्डारी जोगीदासजी थिरात ( पालनपुर ) के पास युद्ध करते हुए झुंझार हुए। इनके पुत्र दुरगदासजी के साथ इनकी धर्मपत्नी १७०६ की चेत वदी ९ के दिन सती हुई, तब से इस परिवार में चेत वदी ९ की पूजा होती है। दुरगादासजी के पुत्र मानमलजी की पक्षी भी उनके साथ सती हुई ।
भण्डारी सरदारमलजी के पौत्र प्रेमचन्दजी संवत् १८६४ में भीनमाल की लड़ाई में झुंझार हुए। यहाँ तालाब पर उनका चौतरा बना है। झुंझार होने से इनके पुत्रों को संवत् १९४० तक ३००) सालियाना मिलते रहे । भण्डारी प्रेमचन्दजी के किशनचन्दजी, मयाचन्दजी और जालमचन्दजी नामक तीन पुत्र हुए । उनमें किशन चंदजी के परिवार में इस समय चम्पालालजी विजयराजजी और सजनराजजी हैं। भण्डारी आलम • चन्दजी के पुत्र ज्ञानमलजी और भभूतमलजी हुए। ये दोनों भ्राता जालोर किले और कोनवाली में मुलाजिम थे। ज्ञानमलजी के पौत्र छगनराजजी हैं। इनके पुत्र सम्पतराजजी ने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है। भण्डारी भभूतमलजी संवत् १९५७ में स्वर्गवासी हुए।
भण्डारी भभूतमलजी के पुत्र दोळतमलजी, मुकुन्दचन्दजी तथा रूपचन्दजी विद्यमान हैं । दोकत मलजी मे बहुत समय तक जोधपुर में सर्विस की । भण्डारी रूपराजजी का जन्म संवत् १९५४ में हुआ । आपने सन् १९१९ में वकालात पास की तथा तब से ये जालोर में प्रेक्टिस करते हैं। आप यहाँ के प्रतिडित म्बति हैं । आपने राईलाल तालाब में दुरुस्ती कराई, बड़ी पोल के दरवाजे में वारिश में मवेशियों के लिये राह ठीक कराई तथा सरदार हाई स्कूल में कमरा बनवाया । दौलतमलजी के पुत्र निहालचन्दजी जोधपुर में सर्विस करते हैं। निहालचन्दजी ने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है और किशोरचन्दजी पढ़ते हैं ।
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