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ओसवाल जाति का इतिहास
काम को बड़ी योग्यता से सम्हाला । आप इन तीन वर्षों में म्युनिसीपैलिटी को भार से इन्दौर म्युनिसिपल इम्प्रन्हमेंट ट्रस्ट बोर्ड के ट्रस्टी भी चुने गये थे। आप सरकार की भोर से सम् १९२८ में तीसरे दर्जे के भानरेरी मजिस्ट्रेट बनाये गये। आपने इस पद पर लगातार चार वर्षों तक काम किया। आपकी कायंकुशलता और योग्यता से प्रसन्न होकर होलकर गवर्नमेंट ने आपको सन् १९३२ से द्वितीय दर्जे के आनरेरी मजिस्ट्रेट के सम्माननीय पद से विभूषित किया। आज भी आप इस पद पर हैं और बड़ी योग्यता से सब कार्य सञ्चालित करते हैं। आप सन् १९३३ में “इन्दौर स्टेट मिनरल सरहे" के मेम्बर बनाये गये तथा आज तक उसके मेम्बर हैं।
इसके अतिरिक्त भाप कोआपरेटिव्ह सोसाइटी के प्रेसिडेण्ट, राऊ गुरुकुल की गव्हनिंग बॉडी के मेम्बर, तथा इसी प्रकार की कई सभाओं के व संस्थाओं के आप सभापति वगैरह हैं। तात्पर्य यह है कि आप बहुत बड़े बुद्धिमान, व्यापार कुशल, सुधारक और भोसवाल समाज के चमकते हुए व्यक्ति हैं।
आपके छोटे भ्राता श्री मोतीलालजी एवं सुगनमलजी भी आपके साथ व्यापार, मिल की व्यवस्था तथा अन्य कार्यों में सहायता देते हैं। आप दोनों भ्राता भी बड़े मिलनसार सजन हैं।
यह परिवार रामपुरा तथा इन्दौर ही नहीं वरन् सारे मध्यभारत की ओसवाल समाज में अग्रगण्य तथा ओसवाल समाज में दिखता हुआ परिवार है।
सेठ बालमुकुन्द चन्दनमल (भंडारी) मूथा, सतारा
इस प्रतिष्ठित परिवार का मूल निवास स्थान पीपाड़ है। जोधपुर स्टेट में ऊँचे ओहदों पर कार्य करने से इस कुटुम्ब को मूथा पदवी का सम्मान मिला। पीपाड़ से मूथा गुमानचन्दजी के दूसरे पुत्र मोखमदासजी लगभग १०० साल पूर्व अहमदनगर होते हुए सतारा आए, तथा आपने कपड़े का व्यव. साय भारम्भ किया।
सेठ हजारीमलजी मूथा-आप मूथा मोखमदासजी के पुत्र थे। आपका जन्म सम्वत् १८७४ में हुआ। आपने कपड़ा, सूत और व्याज के व्यवसाय में अच्छी सम्पत्ति कमाई । धार्मिक कामों में भी आपकी रुचि थी। सम्बत् १९४७ की प्रथम भादवा वदी १२ को आपका स्वर्गवास हुआ । आपके बालमुकुन्दजी और चन्दनमलजी नामक दो पुत्र हुए।
सेठ बालमुकुन्दजी मूथा-आपका जन्म संवत् १९१४ की फाल्गुन वदी में हुआ। मैन शास्त्रों में आपकी समझ ऊँची थी। केवल ३० साल की अल्पायु में आपकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास हुआ। ऐसी स्थिति में भी आपने द्वितीय विवाह करना अस्वीकार कर अपने हद मनोबल और उच्च आदर्श का परिचय दिया। आप