________________
बोलबाल बाद का इतिहास
लुणावत भंडारी हम ऊपर बतला चुके है कि नाडोल के चौहान अधिपति राव लाखनसी की १८ वी पीढ़ी में समराजी हुए, और इनके पुत्र भंडारी नराजी संवत् १९९३ में राव जोधाजी के साथ मारवाड़ (मांडोर में) आये। इन भंगरी नराजी तक उनका परिवार जैनी चौहान राजपूत रहा । संवत् १५१२ में भंडारी नराजी का विवाह मुहणोंतो के वहाँ हुआ, तब से ये जैन ओसवाल हुए। कहा जाता है कि भंडारी नराजी की राजपूत पत्नी से राजसीजी, जसाजी, सीहोजी और खरतोजी नामक ४ पुत्र हुए, और मुहणोत पत्नी से तोलोजी नीयोजी और मायोजी नामक ३ पुत्र हुए।
भंडारी ऊदाजी-भंडारी नराजी के सबसे छोटे पुत्र नाथोजी के चौथे पुत्र भंडारी उदोजी थे। भंडारी उदाजी को संवत् १५४८ में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा ने प्रधानगी का और दीवानगी का सम्मान बल्ला । आपके पुत्र भंडारी नागोजी और पौत्र गोरोजी हुए।
भंडारी गोरोजी-आपने जोधपुर महाराजा राव गांगोजी के समय में प्रधानगी का काम किया। इनके लूणाजी, साडूलजी, सुलतानजी और जेवंतजी नामक " पुत्र हुए। इन बंधुओं में लूणाजी की संतानें खूलावत भंडारी कहलाई।
मंडारी लूणाजी-बाप लूणावतों में बहुत प्रतापी पुरुष हुए। आपकी बहादुरी तथा मोतबरी से तत्कालीन जोधपुर दरबार बहुत प्रसन्न थे आप को महाराजा उदयसिंहजी; सूरसिंहजी तथा गजसिंहजी मे ३ बार प्रधानगी का सम्मान दिया । संवत् ११५१ से १ तक आप १५ सालों तक प्रधान रहे । संवत् ११७६ में जब आपको प्रधानगी का सम्मान दिवा, उस समय दरवार सूरसिंहजी ने दक्षिण में रवाना होते समय आपको ८० हजार की जागीर के गाँव इनायत किये। जब संवत् १९८० में महाराजा गजसिंहजी को मेड़ता पुनः मास हुना तब भंडारी लूणाजी ने मेड़ते जाकर वहाँ दरवार का अधिकार स्थापित किया । इस प्रकार बनेको काव्य आपके हाथों से हुए। संवत् १० कार्तिक में आप स्वर्गवासी हुए।
भंडारी रायमलजी-आप भंडारी लूणाजी के पुत्र थे। पिताजी के स्वर्गवासी हो जाने पर उनकी भागीरी गाँव आपको इनायत हुए। संवत् १९९४ में आपको जोधपुर दरबार ने दीवानगी का ओहदा बल्या, तथा इस पद पर आपने १६९७ की पौष वदी ५ तक कार्य किया।
भंडारी मगवानदासजी-आप भंडारी रायमलजी के पुत्र थे। महाराजा जसवंतसिंहजी के साथ भाप पेशावर में विद्यमान थे। संवत् १७३६ की सावण वदी को जो फौज जोधपुर से देहली गई उसमें माप गये थे।
भंडारी बिटुलदासपी-भार भंडारी भगवानदासजी के पुत्र थे। भाप महाराजा अजितसिंह के