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मडारी
भंडारी जोरावरमलजी-आप भंडारी रत्नसिएजी के द्वितीय पुत्र थे। सम्बत् १७९५ में जोधपुर मौर जयपुर में जो युद्ध हुआ था उस समय आप बोपुर दरकार की ओर से कई बड़े-बड़े मुत्सदियों के साथ पोल में दिये गये थे। तब से भाप वहीं बस गये। संवत् २९ की बैत बदी को तत्कालीन जोधपुर नरेश विजयसिंहजी ने जयपुर नरेश महाराजा पृथ्वीसबजी को चिट्ठी लिखकर भापको बुलाया। पर महाराजा पृथ्वीसिंहजी ने भापको भेजना स्वीकार नहीं किया। • आप अपपुर द्वारा बक्शी गई हवेली ही में निवास करते थे ।
संम्वत् १८५० के लगभग इनको २ हजार रूपया प्रतिवर्ष खजाने से मिलता रहा । २१००) की जागीरी का गाँव भीमापुरा इनके पास रहा। इनके गमेशामजी शिवदासजी, भवानीदासजी तथा धीरजमलजी नामक ५ पुत्र हुए। इनको संवत्. १९१० की अषाद सुदी १५ दिन २ हजार की जागीरो के बजाय ५००)की रेखमा गाँव मोजा राधाकिशन मिला। तब से बह जागीर इन बंधुओं के परिवार में.बहीबातीहै। .
. . .. . मंडारी गणेशदासजी के बाद ममः हरकचन्दबी बर्डनसिंहनी तथा रणजीतसिंहजी हुए। रणजीतसिंहजी ने मेट्रिक तक शिक्षा पाई है। भंडारो शिवदासजी के परिवार में सपनामलजी सभा भवानी दासजी के परिवार में पूनमचन्दजी गुलाबचंदजी ताराचंदनी और फतेचंदजी है। इनकी रंगून में पूनमचंद ताराचंद के नाम से फर्म है। भंडारी धीरजमलजी के पुत्र रिधकरणजी हुए । इनके पुत्र भंडारी बुधमकजी की वय १८ साल की है, आपने अपने पुत्रों को शिक्षित करने की भोर उत्तम लक्ष दिया है। आपने १९१. में उमारिया में दुकान की, भाप वहाँ के प्रतिष्ठित सजन समझे जाते हैं। वहाँ के भाप सरपंच (ऑनरेरी मजिस्ट्रेट) रहे थे । आपके बड़े पुत्र धनरूपमलजी भण्डारी खापुर (बंगाल) में धनरूपमल भंडारी एन्ड संस के माम से बैंकिंग व मोटर का विजिनेस करते हैं। दूसरे पुत्र भंडारी दौलसमलजी ने लखनऊ से १९५० में एल. एल. बी० तथा १९५१ में एम० ए० पास किया है और इधर १९३० से भाप चौक कोर्ट जयपुर में प्रेक्टिस करते हैं। आपके छोटे भाई प्रेमचन्दजी ए. ए. इनक में पढ़ते हैं भंगरी धनरुपमलजी के ज्ञानचंद गुमानचंद आदि ५ पुत्र है। यह परिवार जयपुर में निवास करता है। क्या यहाँ के मोसबाड समाज में प्रतिष्ठित माना जाताहै।