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________________ बाबू वीरेन्द्रसिंहजी - आपका जन्म संवत् १९७१ में हुआ। आप इस समय बी० एस० सी० मैं विद्याध्यन कर रहे हैं । इस समय इस परिवार की जर्मीदारी चौबीस परगना, पूर्णियां, मालदह, मुर्शिदाबाद इत्यादि जिलों में फैली हुई है। इसके अतिरिक्त मेसर्स हरिसिंह निहालचन्द के नाम से कलकत्ता, सिराजगंज, अजीमगंज, फारबीसगंज, सिरसाबाड़ी, भड़ंगामारी इत्यादि स्थानों पर आपका जूट का व्यापार होता है। आपका हेड आफिस कलकत्ता है । सिंघवी सिंपवी-डीडू सिंघवी खेमचन्दजी का खानदान, सिरोही कहा जाता है कि उज्जैन जिले के ढोढर नामक स्थान में परमार वंशीय राजा सोम राज करते थे। उनकी बीसवीं पुरत में माधवजी नामक व्यक्ति हुए, जिन्होंने जैनाचार्य श्री जिनप्रसवसूरिजी से संतान प्राप्ति की इच्छा से जैन धर्म अङ्गीकार किया । उस समय से इनका गौत्र डीडू और इनकी कुल देवी चक्रेश्वरी मानी गई । माधवजी की पांचवी पुश्त में समधरजी हुए इनके पुत्र नानकजी ने शत्रुंजय का संघ निकाला तब से ये सिंघवी कहलाये । * इस खानदान में आगे चलकर सिंघवी श्रीवन्तजी हुए जिन्होंने सिरोही स्टेट में दीवानगी की। राजपूताने की सभी रियासतों पर आपका बड़ा व्यापक प्रभाव था । श्रीवतजी के पुत्रों में रेखाजी और सोमजी का परिवार चला । सिंघवी रेखाजी का परिवार रेखाजी के पौत्र सिंघवी लखमीचन्दजी हुए। इनके तीन पुत्र हुए, जिनके नाम खूबचन्दजी, हुकुमाजी और हीरानन्दजी थे। सिंघवी हीरानन्दजी के चार पुत्र हुए । जिनके नाम अदजी, चैनजी, जोरजी और गुलाबचन्दजी था। इनमें इस समय अदजी के परिवार में सिंघवी अनराजजी, सिंघवी मिलापचन्दजी और सिंघवी टेकचन्दजी हैं। सिंघवी अनराजजी के पुत्र मूलचन्दजी सिरोही में वकील हैं, सिंघवी मिलापचन्दजी जोधपुर ऑडिट ऑफिस में सेक्शन हेड हैं और सिंघवी टेकचन्दजी बी० ए० फेनिक्स मिल बम्बई में सेक्रेटरी हैं। सिंघवी चैनजी के वंश में उनके पौत्र सिंघवी समस्थमलजी इस समय सिरोही हिज हाइनेस के असिस्टेण्ट प्रायह्वेट सेक्रेटरी हैं । सिंघवियों से ये सिंघवी बिलकुल * यहाँ पर यह बात खयाल में रखना चाहिए कि जोधपुर के नाग पूजक 1 उनकी उत्पत्ति ननवाणा बोहरों से हैं और इनकी परमार राजपूत से। लेखक 114 अलग ५५
SR No.032675
Book TitleOswal Jati Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOswal History Publishing House
PublisherOswal History Publishing House
Publication Year1934
Total Pages1408
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size47 MB
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