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ओसवाल जाति का इतिहास विक्रम के १००० वर्ष पश्चात्, बल्कि उसका गौरव उस महान् विश्वमाव के सिद्धान्त से है जिसके पास होकर आचार्य रखप्रभसूरि मे उसकी स्थापना की थी। उसके पाचात इस जाति का गौरव उन महान् पुरुषों से है जिन्होंने इस जाति में पैदा होकर क्या राजनीति, या धर्मनीति, क्या अर्थनीति इत्यादि संसार की प्रायः सभी नीतियों में अपने आश्चर्यजनक कारनामें दिखलाये और जिन्होंने अपनी प्रतिभा और अपने त्याग के बल से राजपूताने के मध्ययुगीन इतिहास को दैदीप्यमान कर रखा है।