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मोसवाल जाति का इतिहास इधर ३ वर्ष पूर्व से हाईस्कूल हो गया है। वर्तमान में यह हाईस्कूल बहुत संगठित रूप से कार्य कर रहा है एवं इन्दौर की एज्यूकेशन संस्थाओं में अपना खास स्थान रखता है।
श्री महाबीर हॉस्कूिल देहली-इसका संचालन देहली के जैन समाज द्वारा होता है। यह संस्था भो बहुत उन्नति के साथ अपना कार्य कर रही है।
श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल गुजरानवाला-इस गुरुकुल की स्थापना जैनाचार्य श्री विजय बम रिजी ने अपने गुरू मात्मारामजी महाराज के स्मारक में माघ सुदी ५ संवत् १९८२ में गुजरानवाला में की। इस गुरुकुल में इस समय विभिन्न प्रांतों के ३७ छात्र पढ़ते हैं। दसवीं क्लास (विनीत परीक्षा ) तक पढ़ाई होती है। संस्था का सालियाना व्यय १५ हजार का है। पंजाब प्रांत के गणमान्य एवं शिक्षित ट्रस्टियों के जिम्मे संस्था की व्यवस्था का भार है। इस समय गुरुकुल के पास लाख रुपयों का स्थाई फंड है तथा २० हजार की जमीन है। यहाँ से साहित्य मंदिर की परीक्षा पास करनेवाले विद्यार्थी को “विद्या भूषण" की पदवी दी जाती है। संस्था के सभापति सेठ माणिकचंदजी हैं।
___ श्री जैनेन्द्र गुरुकुल पंचकूला-गिरिराज हिमालय के अंचल में शिमला के रम्य मार्ग पर कालका के समीप अत्यंत शांतिमय, प्राकृतिक एवं मनोहारी स्थान में यह गुरुकुल स्थापित है। इस के चारों ओर ५ जल श्रोत्र महर्निशि प्रवाहित होते रहने के कारण संस्था का नाम “पंचकूला", उदघोषित किया। इसके स्थापन कर्ता स्वामी धनीरामजी एवं उनके शिष्य पंडित कृष्णचन्द्रजी हैं। स्वामी धनीरामजी नूतन उन्नत विचारों के जैन साधु हैं, एवं गुरुकुल की उन्नति में अपना सारा समय प्रदान कर रहे हैं। संस्था का १५ हजार रुपया सालियाना का व्यय है जो आसपास के जैन समाज की सहायता से चलता है। इस समय संस्था के पास ६० हजार की बिल्डिंग एवं १५ हजार स्थाई कोष में हैं। यहाँ ५६ छात्र अध्ययन करते हैं, और छठी तक पढ़ाई होती है । इसके वर्तमान प्रेसिडेन्ट लाला रूपलालजी जैन फरीदकोट निवासी हैं।
श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय वरकाणा (मारवाड़)-गोरवाद तथा जालोर प्रान्त के पिछड़े हुए जैन समाज को जागृत करने के उद्देश से भाचार्य श्री विजयवल्लभसरिजी एवं उनके शिष्य पन्यास ललित विजयजी महाराज ने मिलकर श्री पाश्र्वनाथ जैन विद्यालय की स्थापना बरकाणा एवं उम्मेदपुर में की। संवत् १९८३ की माघ सुदी ५ से पन्यासजी महाराज ने कुछ विद्यार्थियों को स्वयं ही शिक्षा देना प्रारंभ किया। विद्यालय की स्थापना करवाने में श्रावक सिंघी जसराजजी घाणेराव वालों ने गोडवाद प्रांत की जनता से सम्पत्ति एकत्रित करने में बहुत परिश्रम उठाया। स्कूली एवं धर्मिक शिक्षा के साथ २ छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास को बनाने का भी यहाँ समुचित प्रयत्न किया जाता है। लगभग १०० गोडवाद प्रांत के छात्र पहाँ निवास करते हैं । गोडवाड़ की धार्मिक जनता ने विद्यालय को लाखों रुपये सहापतार्थ दिये हैं। कुछ गण्य मान्य व्यकियों की कमेटी के जिम्मे संस्था की व्यवस्था का भार है।
श्री पार्श्वनाथ उम्मेद जैन बालाश्रम उम्मेदपुर-गोडवाद प्रान्त की जैन जनता के लिये वरकाणा, विद्यालय के पाचात् माघसुदी ३ संवत् १९८७ के दिन पन्यासजी महाराज ने उम्मेदपुर में बालाश्रम की स्थापना की। इस बाकाश्रम में इस समय १७.छात्र निवास करते हैं। VII पदाई होती है। यहाँ छात्रों
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