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जैसलमेर
शजय आदि तीर्थ स्थानों में ओसवाल सजनों ने जैन मन्दिरों की प्रतिष्ठा तथा पुनरुद्धार के जो कार्य किये हैं, उनके सम्बन्ध में हम गत पृष्टों में लिख चुके हैं। इसी प्रकार अन्य कई स्थानों में भी ओसवालों ने ऐसे २ सुन्दर और विशाल मंदिर बनवाये हैं या उनका पुनरुद्धार करवाया है, जिनकी बड़े २ पाश्चात्य शिल्पकारों ने बड़ी प्रशंसा की है और शिल्पकला की दृष्टि से उन्हें अपने ढंग का अपूर्व स्थापत्य (Architecture) माना है। इनमें से कुछ जैन मन्दिरों में प्राचीन जैन अन्यों का बड़ा ही सुन्दर संग्रह है, जिनकी ओर संसार के कई नामी पुरातत्ववेत्ताओं का ध्यान आकर्षित हुभा है। ओसवालों के बनाये हुए जैसलमेर के जैन मन्दिर, उनमें लगे हुए विविध शिलालेख तथा प्राचीन पुस्तक भण्डार भी पुरातत्ववेत्ताओं के लिये ऐतिहासिक रष्टि से बहुत ही मूल्यवान सामग्री उपस्थित करते हैं। तिस पर भी वहाँ का जैन भण्डार तो बड़ी ही अपूर्व चीज है। जैसलमेर किले के अन्दर जो जैन मन्दिर है उसी में यह महान् ग्रन्थागार है। इसके विषय में बहुत समय तक हम लोग बड़े अंधकार में रहे। इस ग्रंथागार में ताद पत्र (Palm leaves) पर लिखे हुए सैंकड़ों हस्तलिखित ग्रन्थ हैं, जिनकी विस्तृत सूची बनाने में भी कई वर्षों की आवश्यकता होगी।
सुपख्यात् पुरातत्वविद् डाक्टर बुल्हर की कृपा से यह महान् जैन ग्रंथागार पहले पहल प्रकाश में आया। डाक्टर बुल्हर महोदय के साथ सुप्रसिद्ध जैन विद्वान् डाक्टर हरमन जैकोबी भी जैसलमेर गये थे। जब आप लोगों ने यह ग्रन्थागार देखा तब आप को बड़ी ही प्रसन्नता हुई। उन्होंने ताड़पत्रों पर लिखे हुए सैकड़ों प्राचीन ग्रन्थों को देख कर भारतीय विद्वानों का ध्यान इस ओर भाकर्षित किया तथा इस सम्बन्ध में विशेष खोज करने के लिये उसे आग्रह किया । आपके बाद स्वर्गीय प्रोफेसर एस. भार. भण्डारकर महोदय जैसलमेर पहुँचे और आपने वहाँ के भिन्न २ ग्रन्थागारों को तथा विविध शिलालेखों को देख कर ईसवी सन् १९ ९ में इस सम्बन्ध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की। अभी थोड़े वर्षों के पहले बड़ौदा सेन्ट्रल लाइब्रेरी के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष मि० चिमनलाल डायाभाई दलाल एम. ९० मे जैसलमेर जाकर वहाँ के पुराने जैन ग्रन्थागारों का तथा जैन मन्दिरों में लगे हुए विविध शिलालेखों का अवलोकन किया। आपने इन सब पर एक बड़ा ही विवेचनात्मक ग्रन्थ लिखा, पर इस ग्रन्थ के प्रकाशित होने के पहले ही आप स्वर्गवासी हो गये ! आपके बाद बड़ौदा सेन्ट्रल लायब्ररी के जैन पण्डित श्रीयुत